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Sawan 2021: शिव की आराधना के माह में जानिए तीन लोक में कौन सा है शिव का धाम

Sawan 2021 शिव धाम के रहस्य के बारे में धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जय जोशी ने बताया कि मनुषात्माये मुक्ति अथवा पूर्ण शांति की शुभ इच्छा तो करती है परन्तु उन्हें यह मालूम नही है की मुक्तिधाम अथवा शांतिधाम है कहां ?

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 04:29 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 04:29 PM (IST)
Sawan 2021: शिव की आराधना के माह में जानिए तीन लोक में कौन सा है शिव का धाम
सावन माह में जानिए शिव तत्व के बारे में।

आगरा, तनु गुप्ता। संसार भर के मनुष्य के अन्तरमन को यदि टटोल कर देखेंगे तो सभी अन्तर आत्मा में पूर्ण शांतिख मोक्ष की, शिव धाम यानी मुक्ति धाम की प्रबल इच्छा होती हे। लेकिन उसे नहीं पता होता कि किस ओर जाएं, कहां जाएं। शिव धाम के रहस्य के बारे में धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जय जोशी ने बताया कि मनुषात्माये मुक्ति अथवा पूर्ण शांति की शुभ इच्छा तो करती है परन्तु उन्हें यह मालूम नही है की मुक्तिधाम अथवा शांतिधाम है कहां ? इसी प्रकार , परम प्रिय परमात्मा शिव से मनुष्यात्माये मिलना तो चाहती हैं और उसे याद भी करती हैं परन्तु उन्हें यह मालूम नही है कि वह पवित्र धाम कहां है जहां से आकर परमपिता शिव इसी सृष्टि पर अवतरित होते हैं?

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जानिए इन लोकों के बारे में 

साकार मनुष्य लोक

मनुष्य लोक जिसमें इस समय हम हैं। इसमें सभी आत्माएं हड्डी- मांसादी का स्थूल शरीर लेकर कर्म करती हैं और उसका फल सुख दुःख के रूप में भोगती हैं तथा जन्म-मरण के चक्कर में भी आती हैं I इस लोक में संकल्प , ध्वनि और कर्म तीनो हैंI इसे ही  पंञ्च तत्वों कि सृष्टि अथवा कर्म- क्षेत्र भी कहते हैं। यह सृष्टि आकाश तत्व के अंश मात्र में है। इसे सामने त्रिलोक के चित्र में दिखाया गया है क्योंकि इसके बीज रूप परमात्मा शिव, जोकि जन्म -मरण से न्यारे है, ऊपर रहते हैं I

सूक्ष्म देवताओ का लोक

इस मनुष्य लोक के सूर्य तथा तारागण के पार तथा आकाश तत्व के भी पार एक सूक्ष्म लोक है। जहां प्रकाश ही प्रकाश है उस प्रकाश के अंश-मात्र में ब्रह्मा, विष्णु तथा महादेव शंकर की अलग अलग पुरिया हैं। इन देवताओं के शरीर हड्डी- मांसादी के नहीं बल्कि प्रकाश के है। इन्हें दिव्य चक्षुओं के द्वारा ही देखा जा सकता है यहां दुःख अथवा अशांति नहीं होती यहां संकल्प तो होते है और क्रियाएं भी होती है और बातचीत भी होती है परन्तु आवाज नहीं होतीI

ब्रह्मलोक और परलोक

इन पुरियों के भी पार एक और लोक है जिसे ब्रह्मलोक, परलोक, मुक्तिधाम, शांतिधाम, शिवलोक इत्यादी नामों से याद किया जाता है। इसमें सुनहरे लाल रंग का प्रकाश फैला हुआ है। ब्रह्म-तत्व, छठा तत्व अथवा महातत्व कहा जा सकता है इसके अंशमात्र ही में ज्योतिर्बिंदु आत्माएं मुक्ति की अवस्था में रहती है यहां हरेक धर्म की आत्माओं के संस्थान हैI

इन सभी से ऊपर

उन सभी के ऊपर, सदा मुक्त, चेतन्य, ज्योतिबिंदु रूप परमात्मा सदाशिव का निवास स्थान है इस लोक में मनुष्यात्मा कल्प के अंत में, सृष्टि का महाविनाश होने के बाद अपने-अपने कर्मो का फल भोग कर तथा पवित्र होकर ही जाती हैंI यहां मनुष्यात्मा देह बंधन, कर्म-बंधन तथा जन्म मरण से रहित होती है यहां न संकल्प है, न वचन और न कर्म। इस लोक में परमपिता परमात्मा शिव के सिवाय अन्य कोई गुरु इत्यादी नहीं ले जा सकते। इस लोक में जाना ही अमरनाथ, रामेश्वरम अथवा विश्वेश्वर नाथ की सच्ची यात्रा करना है, क्योंकि अमरनाथ परमपिता शिव यहीं रहते हैंI


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