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21 को है गणेश संकष्टी चतुर्थी, यहां पढ़ें पूरे साल की व्रत तिथियां और पूजा का महत्व

Sankashti Chaturthi 2022 संकष्टी चतुर्थी 21 जनवरी को प्रातकाल 8 बजकर 51 मिनट से शूरु होकर 22 जनवरी को 9 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। अत साधक दिन में किसी समय भगवान श्रीगणेश की पूजा वंदना कर सकते हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 01:50 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 01:50 PM (IST)
21 को है गणेश संकष्टी चतुर्थी, यहां पढ़ें पूरे साल की व्रत तिथियां और पूजा का महत्व
21 जनवरी को गणेश संकष्टी चतुर्थी का व्रत।

आगरा, जागरण संवाददाता। संकष्टी चतुर्थी या संकटहरा चतुर्थी का त्यौहार भगवान गणेश को समर्पित है। श्रद्वालु इस दिन अपने बुरे समय व जीवन की कठिनाईओं को दूर करने के लिए भगवान गणेश जी की पूजा करते हैं। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार इस त्यौहार को प्रत्येक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। मंगलवार के दिन पड़ने वाली चतुर्थी को अंगरकी चतुर्थी भी कहा जाता है एवं इसे सबसे शुभ माना जाता है।

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हिन्दू पंचांग में हर एक चन्द्र महीने में दो चतुर्थी तिथि होती हैं। पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है तथा अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। भारत के उत्तरी एवं दक्षिणी राज्यों में संकष्टी चतुर्थी का त्यौहार मनाया जाता है। संकष्टी शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है जिसका मतलब होता है कठिन समय से मुक्ति पाना।

व्रत का मुहूर्त

हिंदी पंचांग के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी 21 जनवरी को प्रात:काल 8 बजकर 51 मिनट से शूरु होकर 22 जनवरी को 9 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। अत: साधक दिन में किसी समय भगवान श्रीगणेश की पूजा वंदना कर सकते हैं। हालांकि, शास्त्रानुसार, प्रात:काल के समय में पूजा करना उत्तम होता है।

वर्ष 2022 की संकष्टी चतुर्थी की तिथियां

21 जनवरी, शनिवार

20 फरवरी रविवार

22 मार्च मंगलवार

20अप्रैल बुधवार

19 मई गुरुवार

17 जून शुक्रवार

17 जुलाई रविवार

15 अगस्त सोमवार

14 सितम्बर बुधवार

13 अक्तूबर गुरुवार

12 नवम्बर शनिवार

12 दिसम्बर सोमवार

पूजा विधि

श्रद्धालु इस दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान गणेश की पूजा करते हैं एवं व्रत रखते हैं। जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखते हैं वह केवल कच्ची सब्जियां, फल, साबुदाना, मूंगफली एवं आलू खाते हैं। शाम के समय भगवान गणेश की प्रतिमा को ताजे फूलों से सजाया जाता है। चन्द्र दर्शन के बाद पूजा की जाती है एवं व्रत कथा पढ़ी जाती है। तथा इसके बाद ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है। 


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