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Fight From CoronaVirus: एसएन का आपरेशन शुरू, अब संक्रमण को मात देने को ये बनेंगे हथियार

एसएन के कार्यवाहक प्राचार्य डॉ संजय काला ने संभाला कार्यभार। सबसे मिलकर काम करने के लिए कहा। मास्क और पीपीई किट कम होने पर चिंता।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 15 May 2020 12:17 PM (IST)Updated: Fri, 15 May 2020 12:17 PM (IST)
Fight From CoronaVirus: एसएन का आपरेशन शुरू, अब संक्रमण को मात देने को ये बनेंगे हथियार
Fight From CoronaVirus: एसएन का आपरेशन शुरू, अब संक्रमण को मात देने को ये बनेंगे हथियार

आगरा, जागरण संवाददाता। एसएन मेडिकल कॉलेज के कार्यवाहक प्राचार्य डॉ संजय काला ने गुरुवार को कार्यभार ग्रहण कर लिया। उन्होंने डॉक्टरों के साथ बैठक की, मिलकर पूरे उत्साह के साथ करने के लिए कहा। साथ ही खुद को संक्रमण से बचाने के लिए पीपीई किट, मास्क की उपलब्धता की जानकारी ली। आइसोलेशन और क्वारंटाइन वार्ड में बेड की संख्या बढाने के लिए कहा। 

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एसएन में कोरोना के इलाज में बदइंतजामी और बजट के इस्तेमाल को लेकर मिली शिकायत के बाद डॉ जीके अनेजा को हटाकर कानपुर मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संजय काला को प्राचार्य बनाया गया है। वे सुबह 11 बजे एसएन पहुंच गए, उनके पहुंचने के कुछ देर बाद ही डॉ जीके अनेजा कॉलेज से चले गए। कार्यवाहक प्राचार्य डॉ संजय काला ने लेक्चर थिएटर में डॉक्टरों के साथ बैठक की, कहा कि आप किसी दबाव में काम ना करें। पूरी मेहनत और मनोबल के साथ काम करें, जिससे कोरोना को मिलकर मात दी जा सके। उन्होंने एसएन में फैल रहे संक्रमण के कारणों की जानकारी ली, पीपीई किट, मास्क की उपलब्धता बढाने का आश्वासन दिया। शाम को वीडियो कांपफ्रेंसिंग में शामिल हुए, डीएम प्रभु एन सिंह के साथ बैठक में भी एसएन की व्यवस्थाओं में सुधार पर चर्चा की गई। उनकी मदद के लिए भेजे गए डॉ जितेंद्र यादव ने भी एसएन में ज्वाइन कर लिया।

उधर, एसएन में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के साथ ही गंभीर मरीजों के इलाज की व्यवस्थाएं सुधारने पर भी चर्चा की गई। इसमें सबसे अहम भूमिका नर्स सहित पैरामेडिकल स्टाफ और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की होगी। कोरोना संक्रमित मरीज के साथ कोई तीमारदार नहीं रहता है, ऐसे में नर्स और वार्ड बॉय की भूमिका अहम है। मगर, एसएन में 50 फीसद ही पैरामेडिकल स्टाफ है।

ये है चुनौती

- कोरोना पॉजिटिव मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टरों की उपलब्धता है। मगर, विशेषज्ञ चिकित्सक की कमी है। 

- पैरा मेडिकल स्टाफ और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की कमी है। 

- डॉक्टरों के बीच की गुटबाजी से भी काम सही तरह से नहीं हो पा रहा है, आइसोलेशन वार्ड में डयूटी करने से डॉक्टर बच रहे हैं।  

- माइक्रोबायोलॉजी लैब में सैंपल की जांच की जा रही है, यहां की व्यवस्थाएं सुधारना बडी चुनौती है। 

- डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को संक्रमित होने से बचाने की चुनौती है।

काम निपटाने में लगे रहे पूर्व प्राचार्य, लखनऊ की सीट पर नजर

डॉ जीके अनेजा दोपहर 3 30 बजे दोबारा प्राचार्य कार्यालय पहुंचे, यहां शाम तक वे अपने पुुराने काम निपटाने में लगे रहे। यह संदेश देने के प्रयास किए गए कि लखनऊ जा रहे हैं, अब वहां की सीट पर दावेदारी पेश करनी है। 


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