शहीद दिवस पर विशेष: यहां बने थे बम, जिनसे गूंजी थी लेजिस्लेटिव असेंबली
शीतला गली स्थित घर में बनाए जाते थे बम नूरी दरवाजा में रहे थे छह महीने। अप्रैल 1929 को दिल्ली लेजिस्लेटिव असेंबली में फेंका था बम।
आगरा, जागरण संवाददाता। ब्रिटिश सरकार को नींद से जगाने के लिए सरदार भगत सिंह ने अपने साथियों के साथ लेजिस्लेटिव असेंबली, दिल्ली में जो बम फोड़ा था, वह आगरा में बना था। उन्होंने आगरा में इसके लिए कई धमाके कर टेस्टिंग की थी।
आजादी की लड़ाई के दौरान हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी ने चंद्रशेखर आजाद के निर्देशन में आगरा समेत सात जगह को अपना केंद्र बनाया था। सातों केंद्रों पर जाकर शहीद चंद्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव ने वहां के लोगों में नई चेतना जगाई थी। आठ अप्रैल, 1929 को शहीद भगत सिंह ने दिल्ली लेजिस्लेटिव असेंबली में जो बम फोड़ा था, उसे शहीद यतींद्र नाथ दास ने आगरा में ही तैयार किया था। इसका जिक्र सरदार भगत सिंह शहीद स्मारक समिति द्वारा मुद्रित किताब ‘आगरा मंडल के देशभक्त शहीदों पर स्मारिका’ में पढ़ने को मिलता है। लाहौर षड्यंत्र केस में उन्हें फांसी देने के बाद भी आगरा के युवाओं का जोश ठंडा नहीं पड़ा था और वह सिर पर कफन बांधकर देश को आजादी दिलाने निकले थे। शीतला गली में उन्होंने एक मकान किराये पर लिया, जहां विस्फोटक पदार्थ एकत्र कर बमों के खोल बनवाने का काम शुरू किया। एसके बोस ने विस्फोटक पदार्थो, मातादीन आजाद ने बम के खोल बनवाने और सुरेंद्र सिंह वर्मा ने बम को अन्य नगरों तक पहुंचाने का जिम्मा संभाला।
वेश बदल कर रहे थे नूरी दरवाजा में
शहीद भगत सिंह ने करीब छह महीने का लंबा समय नूरी दरवाजा क्षेत्र स्थित भरतपुर के सेठ की हवेली में बिताया था। वह यहां एक विद्यार्थी के रूप में रहे थे। पढ़ाई की आड़ में वह अपने साथियों के साथ मिलकर आजादी की आवाज बुलंद करने के साथ बम बनाने की तैयारी भी की थी। आगरा कॉलेज के पीछे स्थित नाले की झाड़ियों बम की टेस्टिंग की जाती थी।