मार्गशीर्ष मेला: महंत विदेहानंद महाराज के गंगा में उतरते ही शाही स्नान शुरू, लुट रहा प्रभु का खजाना Agra News
तीर्थ नगरी में पहुंचे हैं कई अखाड़ों से नागा साधू। वराह भगवान के मंदिर में सिक्के लेने के लिए लगी कतार।
आगरा, जेएनएन। सोमवार को तीर्थ नगरी सोरों में महंत विदेहानंद महाराज के गंगा में उतरते ही शाही स्नान शुरू हो गया। सुबह से श्रद्धालु शाही स्नान आरंभ होने का इंतजार कर रहे थे। उधर वराह मंदिर में धनवर्षा की गई। जिसे लेने के लिए श्रद्धालुओं की कतारें सुबह से ही लग गई थीं।
शाही स्नान के लिए कई प्रदेशों के नागा बाबा सोरों पहुंचेे हैं। दस दिसंबर को नागा बाबाओं की शाही सवारी निकलेगी। मार्गशीर्ष मेले के लिए राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली के साथ में यूपी के भी श्रद्धालु गंगा स्नान करने के लिए सोरों पहुंचे हैं। गंगा स्नान को लेकर प्रशासन द्वारा भी सोरो में हरिपदी गंगा पर व्यवस्थाएं की गई हैं। जगह-जगह पर पुलिस फोर्स तैनात है। हरिपदी गंगा में बोट के साथ में गोताखोर भी मुस्तैद किया गया है।
खजाने को लेने की होड़
सोरों भगवान वराह की नगरी है। हरिपदी गंगा तट के किनारे वराह भगवान का मंदिर है। मार्गशीष माह की द्वाद्वशी को वराह भगवान का शाही स्नान का दिवस माना जाता है। इस दिन मंदिर के महंत हरिपदी गंगा में स्नान करते हैं। उनके स्नान करने के बाद ही हरिपदी गंगा में कोई दूसरा स्नान करता है। शाही स्नान के बाद महंत मंदिर आकर भगवान वराह के खजाने (मंदिर के कोष) से धन वर्षा (सिक्कों की वर्षा) करते हैं। शाही स्नान से पहले ही मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं का समागम हो जाता है। इन सिक्कों को पाने के लिए श्रद्धालु लालायित रहते हैं। सिक्के को भक्तजन अपनी तिजोरी या धन के साथ रखते हैं। आस्था है कि इस सिक्के को रखने से लक्ष्मी की कृपा बरसती है।
सदियों पुरानी है परंपरा
मंदिर के महंत विदेहानंद बताते हैं कि भगवान वराह के मंदिर में मार्गशीष माह की द्वादशी को धन वर्षा की परंपरा सदियों पुरानी है। चर्चा ये भी है कि 472 वर्ष पहले नेपाल नरेश ने मंदिर का पुनरोद्धार कराया था, तब से यह परंपरा शुरू हुई।
पंचकोसीय परिक्रमा का शुभारंभ
रविवार को एकादशी पर गंगा स्नान के साथ ही सोरों की पंचकोसीय परिक्रमा भी शुरू हो गई। कासगंज से भी बड़ी संख्या में महिलाएं यहां पर परिक्रमा लगाने के लिए पहुंची। पंचकोसीय परिक्रमा का विशेष महत्व माना जाता है। करीब चार से पांच घंटे में पूर्ण होने वाली यह परिक्रमा वर्ष में एक बार ही लगाई जाती है। बाहर से आने वाले श्रद्धालु भी इसका हिस्सा बनते हैं। मार्ग में जगह-जगह पर संस्थाओं ने श्रद्धालुओं के लिए चाय एवं दूध की व्यवस्था की।
ट्रेनों में रही खासी भीड़
इस एकादशी को मोक्षदायिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन बसों के साथ में ट्रेनों में भी खासी भीड़ रही। स्टेशन पर दिन पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। ट्रेनों के आते ही चढ़ने के लिए श्रद्धालुओं में आपा-धापी मच जाती। मेले को देखते हुए स्टेशन पर जीआरपी ने अतिरिक्त पुलिस फोर्स की व्यवस्था की है। ट्रेनों के दरवाजों पर भी बैठ कर यात्रियों ने सफर किया।
सोरों में नागा बाबाओं ने डाला डेरा
तीर्थ नगरी सोरों के मार्गशीर्ष मेले में 10 दिसंबर को नागा बाबाओं की शाही सवारी निकलेगी। अभी से बाबाओं का सोरों में पहुंचना शुरू हो गया है। नागा बाबाओं ने आश्रम में डेरा डाल लिया है। शाही सवारियों में उत्तराखंड, दिल्ली और राजस्थान के नागा बाबा में भाग लेंगे।
10 दिसंबर को सुबह दस बजे हरि की पौड़ी स्थित नागालैंड अखाड़े से नागा बाबाओं की शाही सवारी निकाली जाएगी। दशकों से मार्गशीर्ष एकादशी पर नागा बाबाओं के शाही स्नान और शाही सवारी का आयोजन होता आ रहा है। इसमें मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, दिल्ली और अन्य प्रांतों से नागा बाबा भाग लेते हैं। शनिवार से ही नागा बाबाओं का यहां पहुंचना शुरू हो गया है। इधर शाही सवारी और स्नान को लेकर प्रशासन ने भी तैयारियां की है।
इन मार्गों से निकलेगी शाही सवारी
नागा बाबाओं की शाही सवारी नागालैंड अखाड़े से प्रारंभ होकर मुहल्ला चक्रतीर्थ, बारू बाजार, मुहल्ला तिराहा दीखतान, बड़ा बाजार, मुहल्ला कायस्थान, लहरा रोड, रामसिंहपुरा, कटरा बाजार, राम लाल चौराहा, चंदन चौक, सोमेश्वर घाट, मुहल्ला बदरिया से होती नागालैंड अखाड़े पर ही समाप्त होगी।
यह अखाड़े लेंगे भाग
नागालैंड अखाड़ा के व्यवस्थापक सीताराम दुबे ने बताया कि सोरों के श्री शंभू पंचदशानंद आह्वान पर शाही सवारी में जूना अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, अटल अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, पंचायती अखाड़ा के नागा भाग लेंगे।