आंबेडकर विवि में पदकों को लेकर खत्म हुआ आपत्तियों का दौर, जारी हुई अंतिम सूची
दीक्षा समारोह के लिए कई पदकों में नहीं आई नामों की संस्तुति इसके चलते बंद हुए कई पदक। परिवारों से की जाएगी कुलपति ने बनाई समिति। दो पदकों को लेकर श्रीमती बीडी जैन कन्या महाविद्यालय की प्राचार्य द्वारा की गई आपत्ति का निस्तारण कर दिया गया है।
आगरा, जागरण संवाददाता। डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में दिए जाने वाले पदकों को लेकर चल रही संशय की स्थिति मंगलवार को खत्म हो गई। पदक निर्धारण समिति ने अंतिम सूची विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दी है। दो पदकों को लेकर श्रीमती बीडी जैन कन्या महाविद्यालय की प्राचार्य द्वारा की गई आपत्ति का निस्तारण कर दिया गया है।
जिन पदकों को लेकर हुई थी आपत्ति
- श्रीमती सुशीला देवी हरि किशन गुप्ता स्मृति पदक (बीए तृतीय वर्ष में सं गीत (वादन) में उच्चतम अंक प्राप्त करने पर)
- काजल कुशवाह, आगरा कालेज
- डा. अजय खन्ना स्मृति पदक (एमए संगीत सितार में उच्चतम अंक प्राप्त करने वाले को)
- गीता रानी, श्रीमती बीडी जैन गर्ल्स पीजी कालेज
जो पदक बंद हुए
स्वर्गीय जुगल किशोर अग्रवाल स्मृति पदक, डा. एनडी सिंह पदक, स्वर्गीय बाबू गुलाब राय स्मृति पदक, डा. बेनी सिंह स्मृति पदक,स्व. डा. सीपी सिंह स्मृति पदक, स्व. डा. केसी अग्रवाल स्मृति पदक, चंद्रावती कपूर शिक्षा फाउंडेशन पदक, श्रीमती बीरनदेवी मल्होत्रा स्मृति पदक, गिरवरलाल प्यारे लाल शिक्षा ट्रस्ट पदक, पंडित क्षेमेश चंद्र चट्टोपाध्याय स्मृति पदक, सीबी अग्रवाल पदक, एमपी गौतम पदक, डा. विश्वनाथ प्रसाद पदक, श्री उदयन शर्मा पदक, डा.केपी श्रीवास्तव पदक, अनिल कपूर पदक, श्रीमती रामश्री देवी गुप्ता स्मृति पदक, डा. बालेंद्र किशोर त्रिवेदी पदक, डा. टुकी राम एल्हेंस पदक, श्रीमती शिवदेवी स्मृति पदक।
बनाई जाएगी समिति
पाठ्यक्रम बंद होने से जो पदक बंद हो गए हैं, उन्हें लेकर समिति बनाने के निर्देश कुलपति ने दिए हैं।उनके परिवारों से बात की जाएगी, इन पदकों को किसी और पाठ्यक्रम से जोड़ने की कोशिश की जाएगी। इसके साथ ही संगीत को लेकर हो रही आपत्तियों के निस्तारण के लिए भी पाठ्यक्रम के नामों को स्पष्ट करने की कोशिश की जाएगी।अगले साल से यह पदक दिए जाएंगे।
कईयों में नहीं आई संस्तुति
समिति के सामने एेसे कई पदकों के नाम थे, जिनमें किसी भी नाम की संस्तुति ही नहीं आई। यही नहीं, एेसे भी कई पाठ्यक्रम थे, जिनमें एक भी छात्र ने प्रवेश नहीं लिया था।