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क्राइम ब्रांच पुलिस बनकर परिचालक को किया अगवा, फिर क्या हुआ, जानिए

बल्देव क्षेत्र में सुनसान इलाके में ले जाकर मांगे दो लाख, न देने पर दी हत्या की धमकी, दो घंटे बाद कैलाश के पास यमुना किनारे छोड़ गए स्कॉर्पियो सवार

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Dec 2018 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2018 07:00 AM (IST)
क्राइम ब्रांच पुलिस बनकर परिचालक को किया अगवा, फिर क्या हुआ, जानिए
क्राइम ब्रांच पुलिस बनकर परिचालक को किया अगवा, फिर क्या हुआ, जानिए

आगरा, जागरण संवाददाता। सिकंदरा के आवास विकास कॉलोनी में गुरुवार को स्कॉर्पियो सवारों ने रोडवेज परिचालक को दिनदहाड़े घर से अगवा कर सनसनी फैला दी। वे खुद को दिल्ली क्राइम ब्रांच का बता रहे थे। मगर, उनका अंदाज बदमाशों वाला था। दो घंटे में मथुरा के बल्देव तक गाड़ी में घुमाकर धमकाते हुए उन्होंने दो लाख की मांग भी की। बाद में कैलाश के पास यमुना किनारे छोड़ गए। वे क्राइम ब्रांच के थे या बदमाश? अभी स्पष्ट नहीं हो सका है।

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आवास विकास कॉलोनी सेक्टर 14 निवासी राजपाल सिंह ईदगाह डिपो में परिचालक हैं। राजपाल ने बताया कि गुरुवार को दोपहर दो बजे वे ड्यूटी से घर पहुंचे थे। खाना खा रहे थे। दिल्ली नंबर की स्कॉर्पियो में सवार पांच युवक उनके घर पहुंचे। खुद को नगर निगम का कर्मचारी बताकर घर में घुसे और फिर दिल्ली क्राइम ब्रांच का बताकर गाड़ी में डालकर ले गए। परिजनों ने कंट्रोल रूम में अपहरण की सूचना दे दी। इसके बाद खलबली मच गई। दो घंटे बाद स्कॉर्पियो सवार राजपाल को कैलाश मंदिर के पास छोड़ गए। इसके बाद राजपाल ने पुलिस को पूरी कहानी बताई। राजपाल ने थाने जाकर तहरीर दी। इंस्पेक्टर अजय कौशल ने बताया कि आशंका है कि दिल्ली पुलिस की टीम गलत व्यक्ति को उठाकर ले गई थी। पूछताछ कर उसे छोड़ दिया।

राजपाल की आपबीती

स्कॉर्पियो सवार कैलाश मंदिर से होकर उन्हें बल्देव ले गए। यहां एक स्कूल में ले जाकर रोका। यहां गाड़ी में रखा खाना निकालकर सभी ने खाया और राजपाल को भी जबरन खिलाया। इसके बाद उनसे कहने लगे कि 35 लाख रुपये का गबन करके आए हो। साथी कहां है? बता दे कहां हैं 35 लाख रुपये। नहीं तो गोली मार देंगे। परिवार को खत्म कर देंगे। राजपाल ने अनभिज्ञता जताई। मगर, वे मानने को तैयार नहीं थे। बाद में वे कहने लगे कि दो लाख रुपये दे दे नहीं तो अंजाम बुरा होगा। तुझे मारकर यहीं फेंक देंगे। राजपाल ने दो लाख रुपये देने को हां कर दी। तब वे उन्हें गाड़ी में डालकर कैलाश तक लाए। यहां उनका मोबाइल नंबर नोट किया और कहा कि जब भी फोन करें, उन्हें रुपये पहुंचा देना। इसके बाद वे चले गए।

एक माह पहले खोया था मोबाइल

राजपाल का मोबाइल एक माह पहले खोया था। इसमें दो नंबर थे। एक नंबर तो तत्काल बंद हो गया था। मगर, दूसरे नंबर के बंद होने में 10 दिन लग गए थे। उन्हें आशंका है कि स्कॉर्पियो सवार मोबाइल से मिली डिटेल के बाद उनके घर पहुंचे। क्योंकि वे मोबाइल खोने के बारे में पूछ रहे थे और उन्होंने आधार कार्ड का फोटो भी दिखाया।

सवाल, जिनके नहीं मिले जवाब

- अगर स्कॉर्पियो सवार पुलिसकर्मी थे तो उन्होंने सिकंदरा थाने में आमद क्यों नहीं कराई?

- राजपाल को पकड़कर ले जाने के बाद वे थाने पर क्यों नहीं रुके? वे उसे सुनसान जगह क्यों ले गए?

- 35 लाख का गबन कहां का था? उससे परिचालक का क्या संबंध? यह भी स्पष्ट नहीं हुआ?

- स्कॉर्पियो सवारों के पास कोई हथियार नहीं था। जबकि दिल्ली से यहां पुलिस ऐसे कैसे आ सकती है?

- युवकों के पास परिचालक का फोटो और पता कहां से आया?

- अगर स्कॉर्पियो सवार पुलिसकर्मी थे तो गलत व्यक्ति के पकड़े जाने की जानकारी होने पर वे दो लाख रुपये की मांग क्यों कर रहे थे?


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