जाने का मन नहीं था, बार-बार फोन आया तो चले गए
इटावा में हुए हादसे के बाद बाह व पिनाहट में मचा रहा कोहराम मन्नत पूरी करने जा रहे लोगों के दुखद करुणांत से लोग हिले
संवाद सूत्र, बाह: अपनों को खोने का गम, छाती पीटती महिलाएं और उन्हें ढांढस बंधाते लोग। बाह में शनिवार की शाम कई परिवारों के लिए 'शनि' बनकर आई। मन्नत पूरी करने गए लोगों के दुखद करुणांत ने लोगों को हिला दिया।
बाह की शकुंतला देवी बिलखते हुए कह रही थीं कि उनके पति रामदास खेतों में गेहूं की कटाई करा रहे थे। मौसम बिगड़ न जाए, इसलिए वे जल्दी कटाई के बाद गेहूं घर पहुंचाना चाहते थे। उनका मन इटावा जाने का नहीं था लेकिन वीरेंद्र सिंह के बार-बार फोन आ रहे थे। उसकी बात रखने के लिए ही रामदास ने काम छोड़कर जाने का फैसला किया। उनके बेटे हरिओम, वीरेंद्र और दिनेश मां शकुंतला देवी को धीरज बंधा रहे थे। बार-बार के आग्रह पर जाने को तैयार हुए थे किशन सिंह
किशन सिंह की मौत पर दो बेटे सुखवीर और बलवीर व्यथित थे। सुखवीर की पत्नी कृष्णा ने कहा कि ससुर वहां जाना नहीं चाह रहे थे लेकिन वीरेंद्र के बार-बार आग्रह पर ही जाने को तैयार हुए। गेहूं की कटाई छोड़कर गए थे महेश
बाह के आम का पुरा निवासी महेश गेहूं की कटाई को छोड़कर गए थे। मां जसोदा देवी ने कहा 'मेरे जाने की उम्र में बेटा चला गया। इससे बड़ा दुख मां के लिए और क्या होगा।' महेश के घर में पत्नी ललिता देवी, तीन बेटों में दीपू, जीतू और लोकेंद्र हैं। 'बुढ़ापे का सहारा ही चला गया'
हादसे में बनवारी लाल की पत्नी ओमवती की भी मौत हुई है। उनके चार बेटे रनवीर, गंभीर, रंजीत, धर्मवीर और बेटी नीरू है। बनवारी लाल ने कहा कि ओमवती ही उनकी बुढ़ापे की सहारा थी। पत्नी के यूं चले जाने से उनका बुढ़ापा भी खराब हो गया। 'मेरी को गृहस्थी ही उजाड़ा दी'
मृतक हाकिम सिंह के दो बेटे और छह बेटियां हैं। पत्नी बिट्टी देवी बेसुध हैं। गुड्डू उर्फ जनवेद की पत्नी ऊषा बार बार बेहोश हो जाती हैं। होश आने पर एक ही बात मुंह से निकलती है ' हे भगवान, ये तूने किस जनम का बदला लिया। मेरी तो गृहस्थी ही उजड़ा दी।' गुड्डू के तीन बेटे सूरज, देवा और चरना हैं। वहीं हादसे में मृत लालू उर्फ प्रवेंद्र की तीन बेटियां लक्ष्मी, प्रिया, भारती व एक बेटा गोपाल है। पिनाहट में चार घरों में मचा रहा कोहराम
हादसे में पिनाहट के चार लोगों की मौत हुई। इनमें राजेंद्र, गुलाब सिंह, राजेश और बनवारीलाल हैं। हादसे के बाद इन घरों में कोहराम मचा रहा। राजेंद्र मजदूरी करते थे। घर में उनकी पत्नी नेनी देवी, दो बेटे डल्ला, राहुल और बेटी अनीता है। गुलाब सिंह गैस एजेंसी पर हाकर थे। घर में उनके पिता दीवान सिंह, दो भाई भोगीराम और रामखिलाड़ी हैं। राजेश दिल्ली में हलवाई का काम करते थे। एक सप्ताह पूर्व अपने गांव में फसल कटवाने आए थे। उनकी पत्नी पिंकी, बेटा छोटू व दो बेटी नीशू और नेहा हैं। बुजुर्ग बनवारीलाल किसान थे। एक दिन पहले ही दिल्ली से आए थे वीरेंद्र
पिनाहट के वीरेंद्र सिंह दिल्ली में हलवाई का काम करते हैं। नौ अप्रैल की सुबह पांच बजे वे परिवार के साथ गांव में पहुंचे थे। चाची भूदेवी ने बताया कि छह पूर्व वीरेंद्र के घर में बेटे ने जन्म लिया था। इस खुशी में उसने लखना माता मंदिर पर नेजा चढ़ाने को कहा था। शनिवार को नेजा चढ़ाने और बेटे का मुंडन कराने जा रहे थे। भूदेवी ने बताया कि दोपहर एक बजे सभी लोग वाहन में सवार होकर घर से निकले थे।