RIP Dilip Kumar: मुगल-ए-आजम के लिए दो वर्ष में बना था 'शीश महल', बड़ा रोचक है पूरा किस्सा
RIP Dilip Kumar आगरा किला में है शाहजहां द्वारा बनवाया गया हमाम। सेट में अभिनेत्री मधुबाला पर फिल्माया गया था गाना। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने आगरा में शीश महल को सैलानियों के लिए बंद कर रखा है।
आगरा, जागरण संवाददाता। फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार (98) का निधन बुधवार को हो गया। उनके द्वारा सिनेमा के पर्दे पर निभाए गए किरदार अमर हैं। इनमें से एक वर्ष 1960 में रिलीज हुई फिल्म 'मुगल-ए-आजम' में निभाया गया सलीम का किरदार भी है। फिल्म के लिए निर्देशक के. आसिफ ने शीश महल की तर्ज पर भव्य सेट मोहन स्टूडियो, मुंबई में तैयार कराया था। इस गाने की शूटिंग पर ही 10 लाख रुपये खर्च हुए थे, जबकि उस समय इतनी रकम में पूरी फिल्म बन जाती थी।
आगरा किला में बना शीश महल, मुगलकालीन हमाम है। शहंशाह शाहजहां ने इसका निर्माण वर्ष 1637 में अपने परिवार के सदस्यों के लिए तुर्की हमाम के रूप में कराया था। शाही परिवार की महिलाएं इसका उपयोग हमाम व परिधान कक्ष के रूप में करती थीं। इसकी तामीर को सीरिया से कांच मंगवाया गया था। शीश महल की दीवार, मेहराब व छत पर छोटे-छोटे शीशे जड़े हुए हैं। इससे जरा सी रोशनी होते ही पूरा कक्ष रोशन हो उठता है। शीश महल की इसी खासियत के चलते मुगल-ए-आजम के लिए के. आसिफ ने शीश महल का सेट तैयार कराया था। इसे बनने में दो वर्ष लगे थे। इसके लिए बेल्जियम से कांच मंगाया गया था। भव्य सेट में लगे शीशों में 'जब प्यार किया तो डरना क्या...' गाने पर नृत्य करतीं अभिनेत्री मधुबाला के अक्स को देखकर दर्शक शीश महल की चकाचौंध से विस्मित हाे गए थे। फिल्म ब्लैक एंड व्हाइट थी, लेकिन इस गाने को टेक्निकलर में फिल्माया गया था।
बंद है शीश महल
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने शीश महल को सैलानियों के लिए बंद कर रखा है। यह वर्ष 2003 से पूर्व खुला रहता था। यहां आने वाले पर्यटकों ने इसमें लगे दर्पणों को निकाल लिया। यहां हाथ की ऊंचाई तक कई दर्पण निकल चुके हैं। कुछ समय के लिए इसे जाली लगाकर खोला गया था, लेकिन 2014 में दोबारा बंद कर दिया गया।
14 वर्ष में बनकर तैयार हुई थी फिल्म
देश की आजादी से पूर्व मुगल-ए-आजम की शूटिंग वर्ष 1946 में शुरू हो गई थी। बंटवारे के समय दंगे होने और पैसे के अभाव में फिल्म की शूटिंग बंद हो गई। तीन वर्ष तक शूटिंग बंद रही। वर्ष 1950 में शूटिंग दोबारा शुरू हुई। यह फिल्म पांच अगस्त, 1960 को रिलीज हुई थी। उस समय फिल्म करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से बनी थी।