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इनके हौसले को सलाम: पहले अपराधियों का किया खात्मा, अब गायों में बसती आत्मा Agra News

53000 गाय गोशाला में हैं सुबह-शाम गायों को चारा देना आनंद शंकर की दिनचर्या में है शामिल।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 12:10 PM (IST)Updated: Sun, 01 Dec 2019 10:15 PM (IST)
इनके हौसले को सलाम: पहले अपराधियों का किया खात्मा, अब गायों में बसती आत्मा Agra News
इनके हौसले को सलाम: पहले अपराधियों का किया खात्मा, अब गायों में बसती आत्मा Agra News

आगरा, विनीत मिश्र। साधारण कुर्ता- पायजामा। गले में तुलसी की माला और माथे पर चंदन का लंबा टीका। सुबह- शाम ब्रज में मान मंदिर की गोशाला में गायों की सेवा। गोशाला के ही एक कमरे में जमीन पर चटाई बिछाकर सोना। यह उस शख्सियत की पहचान है जिसे खाकी में देख बदमाश खौफ खाते थे। पुलिस के सर्वोच्च पद पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पर आसीन रहे आनंद शंकर ने कान्हा की नगरी में अपना जीवन गायों की सेवा में समर्पित कर दिया है।

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आनंद शंकर 2009-10 में बिहार पुलिस के महानिदेशक रहे हैं। उनका ब्रज आना एक अजीब संयोग रहा। 19 जून, 2008 को पत्नी राज्यश्री का निधन हो गया। सपने में पत्नी का अंतिम संस्कार राधारानी की धरा बरसाना में करते देखा। स्वजनों को इसके बारे में बताया और 20 जून को पत्नी का पार्थिव शरीर विमान से लेकर दिल्ली पहुंचे। वहां से बरसाना पहुंच गहवर वन में अंतिम संस्कार किया। इसके बाद पटना चले तो गए, लेकिन मन नहीं रमा। पत्नी वियोग में अकेलापन अब कृष्ण भक्ति में मन को रमा कटता। बेटा अमृताश व्यापार करता है।

आनंद शंकर बताते हैं कि 2010 में सेवानिवृत्त होने के बाद वर्ष 2013 में वह अकेले बरसाना घूमने आए। यहां रहकर रोज सुबह लाड़िली जी के मंदिर में राधा की आराधना करते। बरसाना से जाने की इच्छा नहीं हुई, तो गुजराती कॉलोनी में मकान बनवाने को एक प्लॉट खरीद लिया। आखिर परिवार का मोह त्याग छह अगस्त, 2014 को बरसाना में बस गए। मन था कि जिन गायों को उनके गोपाल (भगवान कृष्ण) चराते थे, उनकी सेवा में अपना जीवन बिताना है। मान मंदिर की गोशाला में एक कमरा ले लिया। यहीं से खाकी वर्दी वाले कड़क अफसर की जिंदगी ने रास्ता बदल लिया। रोज सुबह मंदिर जाते हैं, फिर गायों की सेवा करते हैं।

ब्रज के विरक्त संत पद्मश्री रमेश बाबा की मान मंदिर की गोशाला में 53 हजार गाय हैं। सुबह और शाम गायों को चारा देना आनंद शंकर की दिनचर्या में शामिल है। उम्र के 70 वें पड़ाव पर पहुंच चुके आनंद शंकर जिस छोटे से कमरे में रहते हैं, वहां किताबों का भंडार है। वह कहते हैं ठाकुर जी की मंगला आरती चरणामृत है।

जरा हट के

- बिहार के पूर्व डीजीपी आनंद शंकर ने गायों की सेवा में समर्पित किया जीवन।

- ब्रज में मान मंदिर के छोटे से कमरे में रहते हैं, मंदिर की गोशाला में सुबह-शाम करते हैं सेवा।

जीवन ब्रज, गाय और ब्रजवासियों की सेवा में कटे

मैं ब्रजवास के लिए आया हूं, ब्रज में रहकर ही जीवन बिताना चाहता हूं। पत्नी का अंतिम संस्कार भी यहीं हुआ। अब मैं एक रात भी ब्रज से बाहर नहीं बिताना चाहता। यही इच्छा है, जीवन ब्रज, गाय और ब्रजवासियों की सेवा में कटे।

आनंद शंकर, बिहार के पूर्व डीजीपी


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