सिकंदरा के खंडहर पड़े इस हिस्से का भी होगा अब संरक्षण, शुरु हुई कवायद Agra News
ब्रिटिश काल में बने डाक बंगले में 80 के दशक में लगी थी शॉर्ट सर्किट से आग। जीर्ण भवन के स्ट्रक्चर को सलामत रखने को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कराएगा काम।
आगरा, जागरण संवाददाता। अकबर के मकबरे में डाक बंगले का संरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा कराया जाएगा। ब्रिटिशकालीन डाक बंगला 80 के दशक में शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लग गई थी। तभी से यह खंडहर बना हुआ है। एएसआइ द्वारा उसका संरक्षण इसलिए कराया जा रहा है, जिससे उसका स्ट्रक्चर सही सलामत बना रहे।
ब्रिटिश काल में स्मारकों में काफी काम कराए गए थे। सिकंदरा में भी सेंट्रल टैंक के दायीं तरफ उद्यान में डाक बंगला बनवाया गया था। इसकी दीवारें लाखौरी ईंटों की बनी हैं, जबकि छत फूस की हुआ करती थी। सिकंदरा का प्राकृतिक परिवेश और कुलांचे भरते कृष्ण मृग आकर्षण हुआ करते थे। डाक बंगले का इस्तेमाल अधिकारियों द्वारा पिकनिक स्थल के रूप में किया जाता था। ब्रिटिश काल के बाद आजाद भारत में भी अधिकारियों द्वारा डाक बंगले का उपयोग किया जाता रहा। 80 के दशक में डाक बंगले में शॉर्ट सर्किट से आग लगने की वजह से यह तबाह हो गया था। तब से यह खंडहर पड़ा हुआ है। एएसआइ द्वारा लंबे समय से उपेक्षा के बाद डाक बंगले के संरक्षण की योजना तैयार की है। इसमें बेतरतीब झाडिय़ों को साफ किया जाएगा। मलबे को हटाया जाएगा। दीवारों से निकली लाखौरी ईंटों को दोबारा लगाया जाएगा। रेड सैंड स्टोन के फर्श की प्वॉइंटिंग का काम किया जाएगा।
अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि डाक बंगले के संरक्षण को पूर्व में टेंडर किया गया था, लेकिन कोई निविदा नहीं आई। इसके लिए दोबारा टेंडर किया जाएगा।
1905 से पूर्व का है निर्माण
इतिहासविद राजकिशोर राजे बताते हैं कि सिकंदरा में वर्ष 1905 में कृष्ण मृगों का एक जोड़ा लाया गया था। उस समय डाक बंगला सिकंदरा में बना हुआ था। फतेहपुर सीकरी में ब्रिटिश काल में बना डाक बंगला आज भी अस्तित्व में है। आरामबाग का इस्तेमाल भी गेस्ट हाउस के रूप में होता था। ताज के मेहमानखाने को भी किराये पर उठाया जाता था।