Hospital in Agra: आगरा में 31 मार्च 2022 तक CEA के तहत कराना होगा छोटे हॉस्पिटल और नर्सिंग होम का पंजीकरण
छोटे हॉस्पिटल और क्लीनिक के बंद होने का संकट। आइएमए कर रहा एक्ट का विरोध। निजी Hospital in Agra क्लीनिक और अस्पताल का पंजीकरण सीएमओ कार्यालय में होता है। इसके लिए अस्पताल और क्लीनिक संचालक को बेड की क्षमता डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की उपलब्धता का ब्योरा देना होता है।
आगरा, जागरण संवाददाता। निजी अस्पताल और क्लीनिक का पंजीकरण नैदानिक स्थापन (रजिस्ट्रीकरण और विनियमन) अधिनियम (द क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट रजिस्ट्रेशन एंड रेग्यूलेशन एक्ट 2010 ) के तहत होगा। एक जनवरी 2022 से नए एक्ट और मानकों के तहत ही पंजीकरण किया जाएगा। वहीं, पूर्व में पंजीकृत अस्पताल और क्लीनिक को 31 मार्च 2022 तक मानक पूरे कर पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण तीन साल तक रहेगा, इसके बाद नवीनीकरण कराना होगा। इससे छोटे क्लीनिक और अस्पतालों के बंद होने का संकट है। आईएमए इसका विरोध कर रही है।
निजी क्लीनिक और अस्पताल का पंजीकरण सीएमओ कार्यालय में होता है। इसके लिए अस्पताल और क्लीनिक संचालक को बेड की क्षमता, डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की उपलब्धता का ब्योरा देना होता है। इसके साथ ही अग्निशमन विभाग की एनओसी, बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के अनुबंध की जानकारी देनी होती है। हर साल नवीनीकरण कराना अनिवार्य है। मगर, अब नैदानिक स्थापन (रजिस्ट्रीकरण और विनियमन) अधिनियम 2010 को लागू कर दिया गया है। रजिस्ट्रीकरण प्राधिकरण के अध्यक्ष डीएम और संयोजक सीएमओ होंगे। सीएमओ डा. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि एक जनवरी 2022 से नैदानिक स्थापन (रजिस्ट्रीकरण और विनियमन) अधिनियम से पंजीकरण होगा। इसके लिए पोर्टल पर आनलाइन आवेदन करना होगा। स्वास्थ्य विभाग की टीम स्थलीय निरीक्षण करेगी, इसके बाद पंजीकरण किया जाएगा। 31 मार्च 2022 तक क्लीनिक और निजी अस्पतालों को पंजीकरण कराना होगा। 30 बेड तक की क्षमता के अस्पतालों का पूर्व की तरह से ही पंजीकरण होगा। मगर, 30 बेड से अधिक क्षमता के अस्पतालों में पंजीकरण के लिए मानक पूरे करने होंगे। अस्पताल में बेड, आपरेशन थिएटर, चिकित्सकीय सुविधाओं के आधार पर डाक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ की संख्या निर्धारित की गई है।
उधर, आईएमए ने सीईए का विरोध शुरू कर दिया है। आइएमए के अध्यक्ष डा. राजीव उपाध्याय का कहना है कि सीईए लागू होने से छोटे अस्पताल और क्लीनिक बंद हो जाएंगे। चिकित्सकों को कारपोरेट अस्पतालों में ज्वाइन करना होगा, मरीजों को छोटे अस्पतालों में सस्ता इलाज मिल रहा था। मगर, एक्ट के लागू होने के बाद मरीजों को कारपोरेट अस्पतालों में महंगा इलाज कराना होगा।