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Gram Panchayat Chunav: रिश्ते दिला रहे याद, जातिगत समीकरण रहे साध, पढ़ें चुनावी रण में पार्टियों की रणनीति

Gram Panchayat Chunav भाजपा सपा बसपा रालोद की अलग-अलग रणनीति। भाजपा सपा बसपा रालोद ने जिला पंचायत सदस्य के लिए समर्थित प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। गुरुवार को मतदान होना है और बुधवार शाम छह बजे प्रचार समाप्त हो जाएगा।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 02:38 PM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 02:38 PM (IST)
Gram Panchayat Chunav: रिश्ते दिला रहे याद, जातिगत समीकरण रहे साध, पढ़ें चुनावी रण में पार्टियों की रणनीति
भाजपा, सपा, बसपा, रालोद की अलग-अलग रणनीति।

आगरा, अम्बुज उपाध्याय। पंचायत चुनाव के रण में प्रत्याशियों की अलग-अलग नीति है, लेकिन उद्देश्य वोटरों को रिझाना ही है। विभिन्न पदों के प्रत्याशी गांव में घुसते ही खेत, मेड़ या चौपाल जिस पर भी बुजुर्ग बैठे दिख जाएं उन्हें प्रणाम, राम करने के साथ पैर छृूने में भी देरी नहीं कर रहे हैं। उन्हें पुराने रिश्ते याद दिलाने के साथ ही नजदीकी गिनाई जा रही है। ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत में तो अधिकतर बीच के हैं, लेकिन जिला पंचायत सदस्य के लिए कशमकश है। वोटरों को लुभाने के लिए प्रत्याशी समर्थित पार्टी के अनुसार जातिगत समीकरण साध रहे हैं, तो अपनी जाति वालों को मनाने मे भी पीछे नहीं रह रहे हैं। पार्टी का चुनाव चिन्ह नहीं होने के कारण इसमें ज्यादा मेहनत लग रही है।

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भाजपा, सपा, बसपा, रालोद ने जिला पंचायत सदस्य के लिए समर्थित प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। गुरुवार को मतदान होना है और बुधवार शाम छह बजे प्रचार समाप्त हो जाएगा। वोटरों से गांव-गांव फरियाद करने वाले जातिगत समीकरण साधने में भी जुटे हैं। भाजपा के प्रत्याशी परंपरागत वोटरों तक फरियाद लेकर पहुंच रहे हैं, तो अपनी जाति के आधार पर समीकरण साध रहे हैं। कुछ सीटों पर संगठन पदाधिकारी, वार्ड प्रभारी भी माहौल बना रहे हैं। कम समय में अधिक लोगों तक पहुंच बनाने के लिए जातिगत आधार पर समर्थकों की टोलियां बना दी गई हैं। बसपा समर्थित प्रत्याशियों ने भी अपने परंपरागत वोटरों तक पहुंच बनाने के लिए बूथ कमेटी, सेक्टर कमेटी को वोटरों तक पहुंच बनाने के लिए जुटा दिया है। सपा ने दावेदार संख्या अधिक वाली कुछ सीटों पर तो समर्थित प्रत्याशी नहीं उतारे हैं। वहीं जिन सीटों पर समर्थित प्रत्याशियों को उतारा है, उनके लिए वार्ड स्तर पर जातिगत समीकरण के आधार पार्टी ने प्रभारी नियुक्त किए हैं। वे परंपरागत वोटरों को जुटाने में जुटे हैं। वहीं रालोद आधी सीटों पर ही प्रत्याशी उतार सकी है। कुछ सीटों पर तो औपचारिकता की गई है, लेकिन मजबूत सीटों पर प्रत्याशी स्वयं तो कुछ पर वोटरों को साधने के लिए संगठन का सहयोग भी मिल रहा है। 


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