Tajmahal: कभी घने जंगल की तरह नजर आता था ताजमहल का उद्यान, बड़ा रोचक है इतिहास
Tajmahal मुगल काल में चारबाग पद्धति पर बनाया गया था ताजमहल का उद्यान। ब्रिटिश काल में उद्यान के स्वरूप को ब्रिटिश पद्धति पर विकसित किया गया। मुगल काल में उद्यानों में साइप्रस अंजीर जैतून चंदन अनार आंवला के पेड़ लगे थे।
आगरा, जागरण संवाददाता। दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल, आज जैसा नजर आता है, अतीत में ऐसा नहीं था। चारबाग पद्धति पर बने इसके उद्यान में विशाल दरख्त हुआ करते थे। यह घने जंगल की तरह दिखता था। ताजमहल ऊंचे-ऊंचे पेड़ों की ओट में छुपा हुआ नजर आता था। ब्रिटिश काल में ताजमहल के उद्यान को ब्रिटिश पद्धति पर विकसित किया गया।
ताजमहल के पुराने चित्रों में स्मारक उद्यान में लगे हुए बड़े-बड़े पेडा़ें के पीछे छुपा हुआ नजर आता है। वर्ष 1861 के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के आगरा सर्किल के पास उपलब्ध चित्र में ताजमहल का उद्यान एक घने जंगल की तरह दिख रहा है। उद्यान को वर्तमान स्वरूप दिलाने का काम ब्रिटिश वायसराय लार्ड कर्जन (1899-1905) के समय शुरू हुआ माना जाता है। कर्जन के समय ही स्मारकों के संरक्षण व उनकी देखरेख पर काफी काम किया गया था। कर्जन ने ताजमहल में सामने की तरफ लगे अधिकांश बड़े छायादार पेड़ों को कटवा दिया था। उसने इनकी जगह पर साइप्रस के पेड़ लगवाए थे। उसने ताजमहल के उद्यान के मुगलकालीन स्वरूप को मिटाते हुए उसे ब्रिटिश पद्धति के उद्यान में तब्दील कर दिया। एएसआइ से निदेशक उद्यान के पद से सेवानिवृत्त हुए डा. हरबीर सिंह बताते हैं कि ताजमहल के मुगल पद्धति पर बने उद्यान के स्वरूप को ब्रिटिश काल में बदला गया था। उद्यान में वर्तमान में लगे हुए अधिकांश बड़े पेड़ ब्रिटिश काल के हैं।
पाथवे से काफी नीचा था बाग का लेवल
ताजमहल के पाथवे की ऊंचाई वर्तमान में करीब एक फुट ही है। मुगल काल में पाथवे से उद्यान काफी नीचे था। ब्रिटिश काल में बाग के स्वरूप को जब बदला गया, तब उसमें मिट्टी का भराव कर उसे ऊंचा कर दिया गया। सिकंदरा और एत्माद्दौला के उद्यान पाथवे से काफी नीचे हैं।
बाबर ने बनवाया था चारबाग पद्धति पर पहला बाग
चारबाग पद्धति पर भारत में सबसे पहले मुगल बादशाह बाबर ने उद्यान बनवाया था। चारबाग पद्धति पर देश में सबसे पहले रामबाग बनाया गया था। इस पद्धति में उद्यान बनाते समय पेड़-पौधे लगाने के साथ उनके बीच में पानी की नहरें (वाटर चैनल) बनाई जाती थीं। अागरा में ताजमहल, रामबाग, एत्माद्दौला, सिकंदरा में उद्यानों के साथ वाटर चैनल भी बने हुए हैं। एप्रूव्ड टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष शमसुद्दीन बताते हैं कि चारबाग पद्धति में उद्यान को जन्नत के कांसेप्ट के आधार पर बनाया जाता था। इसमें उद्यान पाथवे से काफी नीचा होता था और बीच में पानी की नहरें होती थीं। उद्यान में इस तरह पेड़-पौधे लगाए जाते थे कि पाथवे पर चलते हुए लोग ऊपर से ही फल व फूल ताेड़ सकें।
मुगल काल में लगे थे यह पेड़-पौधे
मुगल काल में उद्यानों में साइप्रस, अंजीर, जैतून, चंदन, अनार, आंवला के पेड़ लगे थे। फूलों में गुलाब, गुलदाउदी, गुलमोहर अादि प्रमुख थे। ताजमहल में अनार के पेड़ और गुलाब के पौधे नहीं हैं। आंवला के पेड़ काफी संख्या में हैं।