Ram Mandir Ayodhya: रामजन्म भूमि आंदोलन के नायक अशोक सिंघल का था आगरा से जन्म का ये नाता
Ram Mandir Ayodhya सिटी स्टेशन रोड पर है मामा का घर। अब उनकी यादें ही रह गई हैं शेष।
आगरा, आदर्श नंदन गुप्त। राम जन्मभूमि आंदोलन के नायक व विश्वहिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे स्व. अशोक सिंघल का जन्म आगरा में हुआ था, जिससे उनका इस शहर से गहरा नाता था। यहां समय-समय पर आते रहे और हर कार्यक्रम में उन्होंने रुचि दिखाई थी।
अलीगढ़ के ग्राम बिजौली के मूल निवासी अशोक सिंघल के पिता राय बहादुर महावीर सिंघल सरकारी विभाग में अधिकारी थे। अशोक सिंघल के मामा डा.अविनाश सिंघल सिटी स्टेशन रोड पर बीपी आयल मिल के सामने एक मकान में रहते थे। मामा के बेटे प्रो.ध्रुव बंसल ने बताया कि पुराने जमाने में मायके में ही महिलाएं प्रसव कराने आती थीं, इसलिए अशोक सिंघल की माताजी विद्यावती सिंघल उनके घर आ जाती थीं। अशोक सिंघल सात भाई थे। अशोक सिंघल व उनसे छोटे चार भाइयों का जन्म इसी मकान में हुआ। अशोक सिंघल के एक भाई बीपी सिंघल डीजी पुलिस रहे। दूसरे भाई पियूष सिंघल की यमुनापार सिंघल पेस्टीसाइड फैक्ट्री है।
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय संगठन मंत्री अशोक तिवारी ने फोन पर बताया कि उनसे कई बार अशोक सिंघल ने अपने आगरा में जन्म के बारे में चर्चा की थी। वे कहीं भी रहे, अपने जन्मस्थान को कभी नहीं भूले। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष श्याम भदौरिया का कहना था कि जब भी अशोक सिंघल आगरा आते तो उन्हें अपनी जन्मस्थली का अवश्य ध्यान रहता था।
लाजपत कुंज में थी उनकी कोठी
ध्रुव बंसल ने बताया कि खंदारी के लाजपत कुंज सिविल लाइंस में पीयूष सिंघल की कोठी थी, जिसमें उनकी बहन ऊषा सिंघल रहती थीं। वे विश्वहिंदू परिषद की महिला शाखा दुर्गा वाहिनी की राष्ट्रीय संयोजक थीं। अब वह कोठी बिक चुकी है।
अशोक सिंघल का जन्म जिस मकान में हुआ, वह अब जीर्णशीर्ण अवस्था में है। उसके कई हिस्से हो गए, उसका कुछ हिस्सा बिक भी गया है। वर्ष 1997 में जब मैं रोटरी क्लब आगरा का अध्यक्ष बना, तब वे मेरे अधिष्ठापन समारोह में आए थे। तब उन्होंने कहा था कि किसी विदेशी संस्था के कार्यक्रम में वे नहीं जाते, तुम मेरे भाई हो, इसलिए आए हैं।
ध्रुव बंसल (मामा के पुत्र)
एक बार अशोक सिंघल मेरे साथ बिजौली गए थे। उन्होंने बताया था कि उनका यह पैतृक गांव हैं, लेकिन यहां कभी कोई रहा नहीं। आगरा जब भी आए, वे अपनी बहन ऊंषा सिंघल के यहां अवश्य जाते थे। अब राम मंदिर के निर्माण पर उनकी याद आना स्वाभाविक है।
राघेवेंद्र सिंह, क्षेत्रीय संपर्क प्रमुख, विहिप