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Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या में घंटा बजा आगरा के जत्थे ने तोड़ी थी बंदिश, पढ़ें आंदोलन से जुड़ी ताजनगरी की यादें

Ram Mandir Ayodhya वर्ष 1990 में अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वस्त करने के लिए कार सेवा का आह्वïन हुआ तो आगरा के कार सेवकों ने भी पूरे समर्पण से सहभागिता की थी।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 01:12 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 01:12 PM (IST)
Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या में घंटा बजा आगरा के जत्थे ने तोड़ी थी बंदिश, पढ़ें आंदोलन से जुड़ी ताजनगरी की यादें
Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या में घंटा बजा आगरा के जत्थे ने तोड़ी थी बंदिश, पढ़ें आंदोलन से जुड़ी ताजनगरी की यादें

आगरा, जागरण संवाददाता। अयोध्या में जन्मस्थली पर दूसरी गुंबद में लटका घंटा प्रतिबंध के चलते कई वर्षों से नहीं गूंजा था। प्रभु राम में आस्था से उत्पन्न आगरा के कार सेवकों की भक्ति की शक्ति इस प्रतिबंध को तोडऩे के लिए उतावली थी। समूचे सनातन समाज का आह्वान था। रामलला के जन्मस्थल पर अतिक्रमण पर आक्रोश था। संतों का आशीर्वाद था। नेतृत्व का निर्देशन था। आगरा से गए एक बाल कार सेवक पंकज बुद्धिराजा को बांहों में उठाया, महिला सैन्यकर्मी आगे बढ़ीं तो आगरा की दुर्गा वाहिनी उनसे भिड़ गईं और देखते ही देखते पंकज ने घंटा बजाया तो उसकी गूंज से बंदिश ओझल हो गई। जय श्रीराम के नारे लगाते कार सेवकों का जोश चरम पर पहुंच गया था।

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वर्ष 1990 में अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वस्त करने के लिए कार सेवा का आह्वïान हुआ तो आगरा के कार सेवकों ने भी पूरे समर्पण से सहभागिता की थी। विश्वङ्क्षहदू परिषद के सक्रिय कार्यकर्ता हरिओम शर्मा बताते हैं कि श्रीराम की जन्मस्थली पर विवादित ढांचे की दूसरी गुंबद पर भारी घंटा लगा था। ये घंटा बजाने पर प्रतिबंध था। काफी ऊंचाई पर लटक रहे घंटे को एक रस्सी से बांध दिया गया था। आगरा से हरिओम शर्मा, विनय सिन्हा, धर्मेंद्र शर्मा, अजय उपाध्याय, सुुरेश कुशवाह, सुनील जैन, बॉबी गोला, अशोक श्रीवास्तव, पंकज बुद्धिराजा, रूपेश गोस्वामी आदि कार सेवकों का जत्था जब यहां पहुंचा तो इस प्रतिबंध को तोडऩे की ठान ली। अपने नेतृत्व से दिशा-निर्देशन लेने के बाद पूरा जत्था वहां पहुंच गया। जत्थे में पंकज बुद्धिराजा भी थे। उनकी उम्र तब बमुश्किल 7-8 वर्ष की रही होगी। उसे ये सोचकर बांहों पर ले लिया कि सुरक्षाकर्मी उसके भोलेपन पर तरस खा जाएंगे। मगर, ऐसा नहीं हुआ। बकौल हरिओम, हम लोगों ने पंकज को बांहों पर उठा लिया, पंकज घंटा पकड़कर लटक गया। इधर, महिला सुरक्षाकर्मी आगे आ गईं। आगरा से पहुंचीं दुर्गा वाहिनी की प्रेमलता गोस्वामी, विमला गोस्वामी, हेमा परिहार, शंकुतला सैनी, पूजा, सरोज नागर, किरण दुबे आदि इन सुरक्षाकर्मियों से भिड़ गईं। कार सेवक भी अन्य सुरक्षाकर्मियों से जूझने लगे। इसी बीच, पंकज ने रस्सी खोलकर घंटा बजा दिया। हम लोग जय श्रीराम के नारे लगाते हुए लौट आए।

लाला, मेरे घर पे बता दियो

हरिओम शर्मा बताते हैं कि कार सेवकों में एक हरि प्रसाद मिश्रा भी थे। वे अपना कुर्ता-पाजामा घर के बाहर कहीं छिपाकर रखते थे। अयोध्या में आगरा के कार सेवकों की जब बारी आई तो हरिप्रसाद मिश्रा सबसे आगे थे। आगरा से रवाना होने से पहले उन्होंने एक युवक से कहा था कि घर पर बता देना, मैं अयोध्या की कहकर नहीं आया हूं। 


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