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Kisan Mahapanchayat: आगरा आ रहे राकेश टिकैत ने कहा, भूख का कर रही व्यापार, सरकार को व्यापारियों से प्यार

Kisan Mahapanchayat किसान नेता टिकैत ने जागरण के साथ की एक्सक्लूसिव वार्ता। नए कृषि कानूनों के विरोध में किरावली में करेंगे महापंचायत। किरावली के मोनी बाबा आश्रम स्थित मिनी ग्रामीण स्टेडियम से किसान नेता राकेश टिकैत तीसरे पहर तीन बजे महापंचायत को संबोधित करेंगे।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 01:45 PM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 01:45 PM (IST)
Kisan Mahapanchayat: आगरा आ रहे राकेश टिकैत ने कहा, भूख का कर रही व्यापार, सरकार को व्यापारियों से प्यार
किसान नेता टिकैत ने जागरण के साथ की एक्सक्लूसिव वार्ता।

आगरा, अम्बुज उपाध्याय। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत आगरा की किरावली तहसील में गरजने आ रहे हैं। एक्सप्रेस-वे पर सफर के दौरान उन्होंने जागरण से फोन पर वार्ता की और कहा कि देश में कई तरह के व्यापार होते हैं, लेकिन अब सरकार भूख का व्यापार करने में जुटी है। उसे व्यापारियों से प्यार है, इसलिए उनके फायदे का कानून बनाया गया है। अनाज पर व्यापारियों का एकाधिकार कराने की तैयारी है। सरकार को काले कृषि कानून वापस लेने होंगे और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही फसलों की खरीद हो इस पर कानून लाना होगा।

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किरावली के मोनी बाबा आश्रम स्थित मिनी ग्रामीण स्टेडियम से किसान नेता राकेश टिकैत तीसरे पहर तीन बजे महापंचायत को संबोधित करेंगे। इससे पहले उन्होंने कहा कि फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पूरे देश में नहीं मिल रहा है। रोटी को तिजोरी में बंद करने का क्रम चल रहा है। गोदाम पहले तैयार हो गए हैं, जबकि कानून बाद में आ रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि व्याारियों के हित सिद्ध करने के लिए नए कानून लाए गए हैं। जल्द इनको वापस ले लिया जाए, नहीं तो जनता अपने स्तर से फैसला करेगी। सरकार देश में ऐसी बीमारी लाना चाह रही है, जिसका कोई इलाज नहीं है। किसान अपनी मांगाें से पहले हटने वाले नहीं है। आंदोलन जारी रहेगा और ये पूरे देश में फैलेगा।

फसल जलाने का मतलब हम कुर्बानी देने को तैयार

राकेश टिकैत से जब पूछा गया कि किसान फसल की पूजा करते हैं, लेकिन आप उसे जलाने का आह्वान कर रहे थे। उन्होंने कहा कि फसल जलाने का मतलब हम अपनी फसल की कुर्बानी देने को तैयार हैं। सरकार सोच रही है कि किसान कटाई, बुवाई के लिए चला जाएगा और आंदोलन छोड़ देगा। ऐसा नहीं होगा। ये एक वैचारिक लड़ाई है, जो किसान अपने अधिकारों के लिए लड़ रहा है। किसान हटने वाला नहीं है। 


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