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Make Small Strong: सोने की तरह 'चौबीस कैरेट' का है भरोसा, ग्राहकों से जुड़ गए पीढि़यों तक के रिश्ते

Make Small Strong आगरा में सोने-चांदी का बड़ा कारोबार है। देशभर में आगरा से आभूषणों की सप्‍लाई होती है। ऐसे में राजेश हेमदेव ने लक्ष्‍मनदास ज्‍वेलर्स शोरूम पर ग्राहकों का भरोसा क्‍वालिटी और डिजायन्‍स से जीता। नार्थ क्षेत्र में स्टोर ऑफ द ईयर का अवार्ड भी हासिल कर चुके हैं।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 01:00 AM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 10:36 AM (IST)
Make Small Strong: सोने की तरह 'चौबीस कैरेट' का है भरोसा, ग्राहकों से जुड़ गए पीढि़यों तक के रिश्ते
आगरा में एमजी रोड पर स्थित लक्ष्‍मन दास ज्‍वेलर्स का शोरूम।

आगरा, संदीप शर्मा। ज्‍वेलरी कारोबार में दमक लाने को खुद भी सोने की तरह तपकर भरोसे की गारंटी देनी पड़ती है। इस क्षेत्र में ग्राहक और विक्रेता के बीच एक बार जो भरोसा कायम हो जाता है, वह पीढिय़ों तक रहता है। एमजी रोड स्थित लक्ष्मन दास ज्‍वेलर्स पर उनके ग्राहकों का भरोसा 'चौबीस कैरेट' का है। ग्राहकों से इनके सालों साल के रिश्ते हैं। यही कारण है कि पिछले 56 सालों की कड़ी मेहनत के दम पर वह हालमार्क और डायमंड ज्‍वेलरी के क्षेत्र में एक विश्वसनीय नाम के रूप में स्थापित हैं।

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लक्ष्मनदास ज्‍वेलर्स के राजेश हेमदेव बताते हैं कि अपने विश्वसनीय उत्पादों और ग्राहकों के भरोसे के कारण ही देशभर के दो लाख से ज्यादा पंजीकृत ज्वेेलर्स में से उन्हें वर्ष 2018-19 का नार्थ क्षेत्र में स्टोर आफ द ईयर का अवार्ड मिला। उनकी फर्म की शुरुआत वर्ष 1964 में उनके पिता किशन चंद हेमदेव (अब दिवंगत) ने किनारी बाजार, फव्वारा में की थी। वर्ष 1998 में व्यापार को बढ़ाते हुए वह अंजना टाकीज के सामने एमजी रोड पर शोरूम में शिफ्ट हो गए। यहां भी पिछले 22 सालों से वह लोगों की पसंद बने हुए हैं। सिर्फ आगरा ही नहीं, बल्कि मथुरा, फीरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, हाथरस, अलीगढ़, भरतपुर, मुरैना, ग्वालियर आदि जिलों से ग्राहक उनके सोने और डायमंड के उत्पाद खरीदने आते हैं।

शहर के पहले डायमंड और हाॅॅलमार्क ज्वेेलर

लक्ष्मनदास ज्वेेलर्स को वर्ष 1967 में शहर में पहली बार डायमंड ज्वेेलरी लाने का भी श्रेय जाता है। राजेश हेमदेव बताते हैं कि वर्ष 1998 में एमजी रोड वाले शोरूम में आने के बाद उन्होंने डायमंड ज्वेेलरी के रिटेल काउंटर की शुरुआत की। वर्ष 2001 में अपने यहां सोने की ज्वेेलरी में हालमार्क देना शुरू कर दिया था। आगरा ही नहीं, बल्कि प्रदेश में पहला हाॅॅलमार्क पंजीकरण था। वह बताते हैं कि पहले लोगों को हाॅॅलमार्क ज्वेेलरी का फायदा नहीं पता था। मेकिंग चार्ज बचाने के चक्कर में दुकानदार के विश्वास पर 22 कैरेट के नाम पर 18 से 20 कैरेट का सोना खरीद लेते थे। लेकिन उन्हें यह सही नहीं लगा, इसलिए उन्होंने वर्ष 2004 से हालमार्क ज्वेेलरी को बढ़ावा देना शुरू किया। लोगों को हाॅॅलमार्क ज्वेेलरी के फायदे बताए। हाॅॅलमार्क ज्वैलरी वाला आपका 100 रुपये का सोना 100 रुपये का ही रहेगा, सिर्फ 10 से 15 रुपये के अतिरिक्त मेकिंग आदि चार्ज को बचाने के चक्कर में अपने कीमती सोने की वेल्यू कम मत कराएं। धीरे-धीरे लोगों में जागरूकता आई। वर्ष 2008 के बाद वह 100 फीसद हाॅॅलमार्क ज्वेेलरी का व्यापार करने लगे। इससे लोगों में उनके ब्रांड की विश्वसनीयता बढ़ी।

कोरोना काल में सोशल मीडिया बनी सहारा

राजेश हेमदेव बताते हैं कि कोरोना संक्रमण के दौरान भी वह लगातार ग्राहकों के संपर्क मे रहे। इसके लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। अपने ब्रांड और उत्पादों की जानकारी देते रहे, भविष्य की योजनाओं से भी उन्हें अवगत कराया। जून में शोरूम खुलने के बाद भी अपने प्रोडक्ट ऑनलाइन प्रचारित किए, जिससे ग्राहकों को डिजाइन पसंद करने शोरूम आने की जरूरत न पड़े। ऑनलाइन पेमेंट से लेकर होम डिलीवरी की सुविधा उपलब्ध कराई। ब्रांड वेल्यू के साथ तुरंत बिल ने उनकी इमेज में और इजाफा किया।

माल बेचने के बाद शुरू होती है जिम्मेदारी

ज्वेेलरी बिजनेस में जिम्मेदारी माल बेचने तक ही नहीं, बल्कि बेचने के बाद शुरू होती है, मुश्किल समय में यदि ग्राहक को ज्वेेलरी का सही दाम वापस मिल जाए, तभी उसका विश्वास खड़ा होता है। बकौल राजेश हेमदेव, हमने कोविड-19 के मुश्किल दौर में हमारे पास ज्वेेलरी लेकर आए ग्राहकों को तुरंत ऑनलाइन व बैंक के माध्यम से भुगतान की सुविधा उपलब्ध कराकर उनके भरोसे को और मजबूत किया।

बचत के रुपये से खरीदें ज्वेेलरी

कोरोना काल में शादी का खर्च कम हुआ है। लोगों की सीमित संख्या, बैंडबाजा-बरात, सजावट आदि का खर्च कम हो गया है। ऐसे में बचे हुए रुपये को शादी वाले घरों के ग्राहक ज्वेेलरी में खर्च करना पसंद कर रहे हैं, क्योंकि यह एक निवेश की तरह है।

सबसे कम उम्र के जैमोलाजी ग्रेजुएट

लक्ष्मनदास ज्वेेलर्स के राजेश हेमदेव ही नहीं, उनके बेटे रोहिन हेमदेव के नाम भी एक बड़ी उपलब्धि दर्ज है। वह सबसे कम उम्र के जैमोलाजी ग्रेजुएट हैं। उन्होंने 12 वर्ष पहले महज 22 साल की उम्र में अमेरिका के जैमोलाजी इंस्टीट््यूट से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की थी। वर्तमान में वही लक्ष्मनदास ज्वेेलर्स के निदेशक की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।


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