अब देखिएगा कचरा उठाने में नहीं चलेगा कोई बहाना, सूबे में सिर्फ आगरा में हुई ये पहल Agra News
डोर-टू-डोर कलेक्शन पर हुई पहल। कचरा कलेक्शन करने वाले कर्मचारियों की लगेगी रेडियो फ्रीक्वेंसी से हाजिरी। पहले चरण में नगर निगम ने 52 वार्डो के 99450 भवनों पर लगाया आरएएफ टैग।
आगरा, अमित दीक्षित। डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन में नगर निगम की किरकिरी को देखते हुए एक और कदम उठाया गया है। बुधवार से 52 वार्डो में अब स्मार्ट तरीके से कूड़ा कलेक्शन करने वाले कर्मचारियों की हाजिरी लगेगी। रेडियो फ्रीक्वैंसी आइडेंटीफिकेशन डिवाइस (आरएएफ) से हाजिरी लगाने वाला आगरा प्रदेश में पहला शहर है।
नगर निगम के सौ वार्डो में छह साल पूर्व डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का ट्रायल हुआ था। अब तक तीन कंपनियां भाग चुकी हैं। वर्तमान में चार जोन में चार कंपनियां काम कर रही हैं। कूड़ा कलेक्शन सही से न होने और यूजर चार्ज की वसूली में खेल के भी आरोप लगते रहे हैं। पिछले दिनों सदन में इसे लेकर हंगामा भी हो चुका है। मेयर के आदेश पर अपर नगरायुक्त विनोद कुमार की निगरानी में तीन सदस्यीय कमेटी जांच कर रही है। गड़बड़ी रोकने के लिए एक साल पूर्व आरएएफ टै¨गग का प्रस्ताव तैयार हुआ था। फिर इसे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से जोड़ दिया गया। इसकी शुरुआत ताजगंज व उसके आसपास के वार्डो से की गई। पहले चरण में 52 वार्डो में 99450 भवनों में क्यूआर कोड की प्लेट लग चुकी है, जबकि मंगलवार को सदन में 305 हैंड हेल्ड डिवाइस का वितरण किया गया। देर शाम तक सभी वार्डो में मशीनें पहुंचा दी गईं। उद्घाटन समारोह में अपर नगरायुक्त केबी सिंह, पर्यावरण अभियंता राजीव राठी, राजीव राठी, आनंद मेनन सहित अन्य मौजूद रहे।
नए सिस्टम से लगेगी फर्जीवाड़े पर रोक
नगरायुक्त अरुण प्रकाश ने बताया कि नए सिस्टम से फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी। किसी कर्मचारी ने भवन स्वामी कूड़ा कलेक्ट किए बिना हाजिरी लगा दी तो भवन स्वामी स्वच्छ नगर एप में इसकी शिकायत कर सकेगा। कर्मचारी पर कार्रवाई की जाएगी।
अब तक 99450 भवनों में हुई आरएएफ टैगिंग
नगर निगम में कुल 3.20 लाख भवन हैं। अब तक 99450 भवनों में आरएएफ टैगिंग की जा चुकी है। बाकी में इसे किया जा रहा है। नगरायुक्त ने बताया कि जिन भवन में क्यूआर कोड (प्लास्टिक की एक प्लेट) लग चुकी है। उन क्षेत्रों के कर्मचारियों को हैंड हेल्ड डिवाइस (कार्ड रीडर) उपलब्ध करा दी गई है। कार्ड रीडर का वजन साढ़े तीन सौ ग्राम है। एक मशीन में ढाई सौ मकानों का डाटा फीड है। एक कर्मचारी को 1500 मकानों से कूड़ा उठाना है। एक कूड़ा गाड़ी पर दो कर्मचारी होंगे। जैसे ही मकान के सामने टीम पहुंचेगी। एक सीटी बजाएगा। कूड़ा कलेक्ट करेगा। कूड़ा कलेक्ट होने के तुरंत बाद कार्ड रीडर को प्लेट के सामने रखना होगा। इस पर सबसे पहले व्हाइट लाइट, फिर ग्रीन और बाद में ब्लू लाइट जलेगी। ब्लू लाइट जलने के तुरंत बाद एक मैसेज जेनरेट होंगे। पहला भवन स्वामी और दूसरा कमांड कंट्रोल सेंटर में पहुंचेगा।
अलग-अलग कलेक्ट होगा कूड़ा
पर्यावरण अभियंता राजीव राठी ने बताया कि डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन में गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग कलेक्ट किया जाएगा। गीले कूड़े से खाद बनाई जाएगी, जबकि सूखे की प्रॉसेसिंग होगी।
भवन स्वामी को रखना होगा प्लेट का ध्यान
अपर नगरायुक्त केबी सिंह ने बताया कि भवन स्वामी को प्लेट का ध्यान रखना होगा। अगर प्लेट टूट जाती है तो इसकी शिकायत निगम में की जा सकती है। टीम नई प्लेट के सौ रुपये चार्ज करेगी।
फिक्स है यूजर चार्ज
नगर निगम ने डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का यूजर चार्ज फिक्स कर दिया है। यह 40 रुपये से लेकर 16500 रुपये प्रति माह है। इसके दायरे में सभी आवासीय, व्यावसायिक भवन, होटल, स्कूल-कॉलेज, मॉल, अस्पताल व प्रतिष्ठान आएंगे। एमआइजी दो सौ स्क्वायर मीटर वाले कमरे से 70, एचआइजी दो सौ मीटर वाले कमरे से 90 रुपये प्रति माह लिया जाएगा।
आरएएफ टैगिंग का भविष्य में यह होगा फायदा
नगरायुक्त ने बताया कि आरएएफ टैगिंग के कई फायदे हैं। प्लेट से हाउस टैक्स, सीवर और वाटर टैक्स की भी वसूली हो सकेगी। इससे आय में बढ़ोतरी होगी और टैक्स न जमा करने वालों को आसानी से चिन्हित किया जा सकेगा।
जबलपुर है देश का पहला शहर
नगरायुक्त ने बताया कि देश में सबसे पहले आरएएफ टैगिंग की शुरुआत जबलपुर ने की थी। वहां सूखा कूड़ा उठाने पर इसका प्रयोग किया जा रहा है।