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Jail in Agra: यूपी की जेलों से 600 बंदियों की रिहाई का भेजा गया था प्रस्ताव, जानिए आगरा से कितने हुए रिहा

Jail in Agra गणतंत्र दिवस पर रिहाई के लिए शासन को भेजा गया था प्रस्ताव। 83 बंदियों को किया गया रिहा रिहा होने वालों में 24 महिला बंदी भी शामिल। अभी और बंदियों की हो सकती है रिहाई।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 29 Jan 2021 08:38 AM (IST)Updated: Fri, 29 Jan 2021 08:38 AM (IST)
Jail in Agra:  यूपी की जेलों से 600 बंदियों की रिहाई का भेजा गया था प्रस्ताव, जानिए आगरा से कितने हुए रिहा
गणतंत्र दिवस पर प्रदेश की जेला में बंद उम्रदराज बंदियों को रिहा करने का भेजा गया था प्रस्ताव।

आगरा, जागरण संवाददाता। गणतंत्र दिवस पर उत्तर प्रदेश की जेलों में निरुद्ध सजायाफ्ता 600 से ज्यादा बंदियों की रिहाई का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। इनमें से 83 बंदियों की गणतंत्र दिवस पर 83 रिहाई हो सकी। इनमें 24 महिला बंदी भी शामिल हैं। यह सभी बंदी 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं।जो कि 16 वर्ष या उससे अधिक की सजा काट चुके हैं। अभी और बंदियों की रिहाई की उम्मीद है।

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गणतंत्र दिवस पर सजायाफ्ता बंदियों की रिहाई का प्रस्ताव जेलों से मांगा गया था। इसमें उन बंदियों को रिहा किया जाना था। जिनकी आयु 60 वर्ष या उससे ज्यादा हो। इसके साथ ही वह 16 साल की सजा काट चुके हैं। जेलों में 70 से 80 वर्ष के बंदी भी निरुद्ध हैं जो 14 से लेकर 16 वर्ष तक की सजा काट चुके हैं। आगरा सेंट्रल जेल से भी गणतंत्र दिवस पर रिहा होने वाले बंदियों का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था। शासन के आदेश के बाद गणतंत्र दिवस पर 83 बंदियों की रिहाई हो गई।

रिहा होने वालों में नारी बंदी निकेतन लखनऊ की 24 महिला बंदी भी हैं। जिन्होंने रिहाई के बाद लखनऊ में राज्यपाल से मुलाकात की।राज्यपाल ने इन महिलाओ को शाल और अन्य उपहार भेंट किया।उनके सुखद जीवन की कामना की।उन्होंने महिलाओं से यह वचन भी लिया कि वे भविष्य में अब कोई अपराध नहीं करेंगी। बाकी जीवन में अपना और परिवार का ख्याल रखेंगी। जेल में पुर्नवास के लिए सीखे गए कार्यों द्वारा आजीविका चलाएंगी। अभी अन्य बंदियों की रिहाई का भी रास्ता खुला हुआ है। बताया जा रहा है कि अभी और बंदी भी रिहा किए जाएंगे।

आगरा सेंट्रल जेल से यह बंदी हुए हैं रिहा

प्रवीन, लेखपाल, ओम प्रकाश, सुखदेव सभी निवासी बागपत, लालाराम निवासी फीरोजाबाद, धर्म सिंह निवासी मेरठ, धर्मपाल निवासी गाजियाबाद, किताब सिंह, हबीब निवासी मथुरा, रामकुमार निवासी मुरादाबाद, रोहताश निवासी बुलंदशहर और मोहम्मद सफी निवासी बुलंदशहर हैं। एक बंदी की रिहाई में तकनीकी समस्या के चलते उसे संशोधन के लिए शासन को भेजा गया है।

चार वर्ष पूर्व रिहा हुए बंदी को रखने को तैयार नहीं हुए थे स्वजन

सेंट्रल जेल में निरुद्ध मुजफ्फर नगर के 72 वर्षीय बंदी की रिहाई हुई थी। वह अपने घर पहुंचा तो स्वजन रखने को तैयार नहीं हुए।तब यहां से बंदी को लेकर गई पुलिस ने स्वजन को कार्रवाई का डर दिखाया। इसके बाद स्वजन बंदी को अपने पास रखने को तैयार हुए थे।  


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