औपचारिकताओं और संक्रमण से अटका त्रैमासिक रिटर्न
सरकार ने नहीं लिया अंतिम तिथि बढ़ाने का फैसला व्यापारी कारोबारी और टैक्स प्रोफेशनल्स परेशान
आगरा, जागरण संवाददाता। बढ़ते कोरोना संक्रमण में खुद को बचाने के लिए व्यापारी और कारोबारी न व्यापार पर ध्यान दे पा रहे हैं और न ही टैक्स रिटर्न आदि की औपचारिकताएं पूरी करने पर। ऐसे में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) का त्रैमासिक रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 24 अप्रैल भी सिर पर है, बावजूद इसके अब तक अंतिम तिथि बढ़ाकर किसी तरह की रियायत नहीं दी गई है।
जीएसटी के नए नियम-61ए में पांच करोड़ तक वार्षिक टर्नओवर वाले कारोबारियों को जीएसटी का त्रैमासिक रिटर्न (जीएसटीआर-3बी) भरना है, जिसकी अंतिम तिथि 24 अप्रैल है। तमाम परेशानियों के बीच व्यापारी, कारोबारी और टैक्स प्रोफेशनल्स शुक्रवार तक औपचारिकताओं में उलझे रहे। व्यापारी विनय मित्तल ने बताया कि दिक्कत यह है कि बढ़ते संक्रमण के कारण न तो व्यापारी औपचारिकताएं पूरी करने की हिम्मत जुटा पा रहे हैं, न हीं टैक्स प्रोफेशनल्स उपलब्ध हैं। ऐसे में इस बार रिटर्न फंसता दिखाई दे रहा है। तगड़ी है टैक्स-पैनल्टी
पांच करोड़ तक वार्षिक टर्नओवर वाले जिन छोटे कारोबारियों ने त्रैमासिक रिटर्न का विकल्प चुना है, उन्हें जीएसटीआर-थ्रीबी रिटर्न अनिवार्य रूप से भरना है। नहीं तो, उन्हें कुल देय कर पर 18 फीसद (वार्षिक) की दर से ब्याज व 50 रुपये प्रतिदिन विलंब शुल्क चुकाना होगा।
बेहद मुश्किल है परिस्थिति
सीए सौरभ अग्रवाल का कहना है कि कोविड संक्रमण के कारण न तो अकाउंटेंट उपलब्ध हैं और न ही कर सलाहकार। अनेक कारोबार स्वैच्छिक बंदी पर हैं। वित्तीय वर्ष के अंतिम जीएसटी रिटर्न में अनेक भूल-सुधार भी करने होते हैं। बैंकिग सुविधा भी ठप है। ऐसे में टैक्स का चालान कैसे जमा होगा? यह बड़ा सवाल है। सरकार को विलंब शुल्क व ब्याज के नियम से राहत देने की जरूरत है।