नूरजहां की सराय के संरक्षण में यमुना की पीर की भी फिक्र, रोचक है इस जगह का इतिहास
एएसआइ ने सराय में स्ट्रक्चरल रिपेयर के साथ बनाईं डक्ट। गंदे पानी के साथ यमुना में जाती गंदगी को रोकने की कोशिश। मुगल शहंशाह जहांगीर ने वर्ष 1612 में यह जगह नूरजहां को प्रदान की थी। उस समय यमुना व्यापार का मुख्य माध्यम हुआ करती थी।
आगरा, जागरण संवाददाता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) स्मारकों का बेहतर रखरखाव व मरम्मत कर संस्कृति का संरक्षण करने के साथ सामाजिक सरोकार भी निभा रहा है। यमुना पार स्थित गेटवे व नूरजहां की सराय के संरक्षण में यमुना की पीर को हरने का प्रयास किया गया है। स्मारक से होकर बस्तियों के गंदे पानी को सीधे यमुना में जाने से रोकने को डक्ट बनाई गई हैं, जिससे कि गंदगी यमुना में नहीं जाए।
यमुना पार एएसआइ द्वारा संरक्षित स्मारक रामबाग और बत्तीस खंबा के मध्य में गेटवे व नूरजहां की सराय स्थित है। गेटवे व सराय में स्ट्रक्चरल रिपेयर का काम किया गया है। गेटवे व सराय के आसपास बसी आबादी का गंदा पानी स्मारक से होते हुए यमुना में सीधे गिरता था। इससे यहां काफी गंदगी रहा करती थी। स्मारक में संरक्षण कार्य के दौरान इस समस्या के निदान पर विशेष ध्यान दिया गया।
पूर्व में यहां एक फुट व्यास की पाइपलाइन पड़ी हुई थी। एएसआइ ने यहां करीब 170-180 मीटर लंबाई में 2.5 फुट व्यास की पाइपलाइन बिछाई। पाइपलाइन के बीच में पांच गुणा पांच फुट की 15 डक्ट बनाई गई हैं। बस्तियों के गंदे पानी के साथ बहकर आई गंदगी डक्ट में एकत्र हो जाती है। डक्ट को माह में एक बार साफ किया जाता है। इससे बस्तियों की गंदगी सीधे यमुना में जाने से रुक रही है।
अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. राजकुमार पटेल ने बताया कि गेटवे व सराय में स्ट्रक्चरल रिपेयर के साथ ही पाइपलाइन बिछाने व डक्ट बनाने का काम किया गया है। इस काम पर करीब 30 लाख रुपये व्यय हुए हैं।
नूरजहां की सराय
नूरजहां की सराय रामबाग और बत्तीस खंबा के बीच में स्थित है। मुगल शहंशाह जहांगीर ने वर्ष 1612 में यह जगह नूरजहां को प्रदान की थी। उस समय यमुना व्यापार का मुख्य माध्यम हुआ करती थी। नदी यातायात की निगरानी व नियंत्रण के लिए यह सराय बनाई गई थी।
व्यापारी यहां आकर रुकते थे और अपना माल रखते थे। उन्हें उत्पाद शुल्क चुकाना होता था। इसमें एक साथ 500 घोड़े व तीन हजार व्यक्ति रुक सकते थे। आज यह दुर्दशा का शिकार है।