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आसमान से राहत नहीं बल्कि फसलों पर इस बार कहर बनकर टूटी बारिश Agra News

आगरा में बारिश और ओलाेें से आलू और सरसों की पौध को पहुंचा जबरदस्‍त नुकसान। किसानों की आंखों में आ गए आंसू।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 08:32 AM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 08:32 AM (IST)
आसमान से राहत नहीं बल्कि फसलों पर इस बार कहर बनकर टूटी बारिश Agra News
आसमान से राहत नहीं बल्कि फसलों पर इस बार कहर बनकर टूटी बारिश Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीर खिंच गई है। आलू के पौध को नुकसान हुआ है तो पछैती गेहूं की फसल का बीज नहीं जमने की आशंका है, जो पहले बुवाई कर चुके हैं उनकी सिंचाई हो गई है। ओलावृष्टि से सरसों की फसल के फूल झड़ गए हैं।

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आलू

मौसम की मार: क्यारियों में पानी भर गया। ओले गिरने से मिटटी हट गई। आलू नजर आने लगे। ओले से पौध दब गई।

रोग: पछैती झुलसा रोग लगने की आशंका है। जिस फसल में जल्द ही पानी लग चुका है, उसे बारिश के पानी से नुकसान हो सकता है। इससे कंद गलने की आशंका बढ़ गई है।

उपचार: ट्राइकोडर्मा का छिड़काव देगा पछैती झुलसा से निजात। कृषि विभाग के राजकीय बीज गोदामों पर ट्राइकोडर्मा 100 रुपये किलो पर उपलब्ध है, जिस पर 75 फीसद अनुदान है। इसको एक से दो किलो प्रति एकड़ में छिड़काव किया जाता है।

सरसों-

ओलावृष्टि की मार सरसों के फूल पर पड़ी है। नाजुक तने भी टूटी है।

रोग-बारिश से सरसों में माहू लग सकता है। सरसों की नाजुक कली, पत्तियों और फल से माहू रस चूसता है। उनको कमजोर कर देता है, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है।

उपचार- माहू की रोकथाम के लिए कीटनाशी दवा का प्रयोग करना चाहिए।

गेहूं-

बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं को कहीं फायदा तो कहीं नुकसान है। जिन किसानों ने पछेती गेहूं बोया है, खेत में पानी भरने से उनका बीज नहीं जमने की आशंका बनी हुई है। जो किसान शुरूआत में गेहूं बुवाई कर चुके हैं, उनकी सिंचाई हुई है।

रोग- विशेषज्ञों के अनुसार इस मौसम से कोई रोग लगने की आशंका नहीं है।

बारिश और ओलावृष्टि ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है। पछैती गेहूं का बीज बर्बाद हो सकता है। आलू, गेहूं में पानी लग चुका है, जिससे पानी की अधिकता होगी। अगर मौसम बादल और बारिश का लंबे समय तक रहा तो आलू और सरसों में रोग लगने की आशंका है। किसान खेतों पर पैनी नजर रखे और कीटनाशी का छिड़काव करे।

डॉ. आरएस चौहान, समन्वयक कृषि विज्ञान केंद्र बिचपुरी 


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