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म्यूजियम के नामकरण पर गर्माने लगी सियासत

-महाराजा सूरजमल के बाद महाराजा अग्रसेन के नाम पर करने की उठी माग -मुख्यमंत्री ने छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर करने के दिए हैं निर्देश

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 06:10 AM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 06:10 AM (IST)
म्यूजियम के नामकरण पर गर्माने लगी सियासत
म्यूजियम के नामकरण पर गर्माने लगी सियासत

आगरा, जागरण संवाददाता। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा मुगल म्यूजियम का नामकरण छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर करने के निर्देश देने के बाद ताजनगरी में सियासत गर्माने लगी है। महाराजा सूरजमल के बाद अब महाराजा अग्रसेन के नाम पर म्यूजियम का नामकरण करने की माग उठी है।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सोमवार को आगरा मंडल की समीक्षा बैठक में मुगल म्यूजियम का नाम छत्रपति शिवाजी महाराज म्यूजियम करने के निर्देश दिए गए थे। अखिल भारतीय जाट महासभा ने इसके अगले ही दिन म्यूजियम का नामकरण महाराजा सूरजमल के नाम पर कराने की माग उठाई थी। महासभा ने शुक्रवार को एडीएम सिटी डॉ. प्रभाकात अवस्थी को ज्ञापन भी सौंपा था। शनिवार को महाराजा अग्रसेन यूथ ब्रिगेड ने म्यूजियम का नामकरण महाराजा अग्रसेन के नाम पर करने की माग करते हुए कलक्ट्रेट में एडीएम सिटी डॉ. प्रभाकात अवस्थी को ज्ञापन सौंपा। संरक्षक विनोद बंसल ने कहा कि आगरा वैश्य बाहुल्य जिला है। यहा लगभग चार लाख वैश्य हैं। महाराजा अग्रसेन ने सामाजिक एकता के लिए काम करते हुए दूसरों की मदद को एक रुपया-एक ईंट का संदेश दिया था। इसलिए म्यूजियम उनके नाम पर होना चाहिए। विकास मोहन बंसल, विष्णु गोयल, राजेंद्र अग्रवाल, अनिल वरनाल, विनोद अग्रवाल, ब्रजमोहन अग्रवाल, संदीप अग्रवाल, मोहित बंसले आदि मौजूद रहे। आगरा म्यूजियम किया जाए नाम

होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन, उत्तर भारत की प्रबंध समिति के वरिष्ठ सदस्य अरुण डंग ने म्यूजियम का नाम आगरा म्यूजियम करने की माग की है। डंग का कहना है कि आगरा का इतिहास इतना प्राचीन, गौरवपूर्ण और रोमाचित करने वाला है कि उसे किसी वंश या व्यक्ति विशेष से नहीं बाधा जा सकता है। हर काल में शहर को सजाया-संवारा गया है। म्यूजियम केवल आगरा म्यूजियम के नाम से ही जाना जाए। इसमें आगरा के विभिन्न कालखंडों पुरातन, लोदी, मुगल, जाट, मराठा, ब्रिटिश और आधुनिक को दर्शाती गैलरी हों। आगरा के साहित्य और संगीत घराना, क्रीड़ा जगत, दर्शन, अध्यात्म व स्वतंत्रता सेनानियों के पक्ष का भी समावेश होना चाहिए।


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