नई पहल: अब पुलिस पहुंचेगी आपके द्वार और पूछेगी मे आइ हेल्प यू Agra News
यूपी 100 की पीआरवी पर तैनात पुलिसकर्मी जाएंगे स्कूल कॉलेज और बाजार में।
आगरा, जागरण संवाददाता। कम्यूनिटी पुलिसिंग और छवि सुधारने को एक और नया प्रयोग शुरू हो रहा है। एसएसपी बबलू कुमार इस बार बीट सिपाहियों की जगह इसमें यूपी 100 की पुलिस रिस्पांस व्हीकल (पीआरवी) पर तैनात पुलिसकर्मियों का प्रयोग करने जा रहे हैं। ये पुलिसकर्मी अपने-अपने क्षेत्र के स्कूल, कॉलेज, बाजार और बैंक जाकर लोगों से संपर्क करेंगे। उनका हाल पूछने के साथ ही मदद का भरोसा दिलाएंगे।
शहर में कुल 75 पीआरवी हैं। इनमें से 45 दोपहिया और 30 चार पहिया हैं। सभी के लिए दिन में खड़े होने के स्थान तय हैं। किसी घटना की सूचना मिलने पर ये घटनास्थल पर जाती हैं। एसएसपी बबलू कुमार ने बताया कि सभी पीआरवी पर दिन में तीन से चार घटनाओं की सूचना मिलती है। बाकी समय ये खड़ी रहती हैं और पुलिसकर्मी बैठे रहते हैं। अब इनके समय का पुलिस की छवि सुधारने में उपयोग किया जाएगा। पिछले दिनों पीआरवी पर तैनात पुलिसकर्मियों की बैठक ली थी। इसमें उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने तय स्थान के आसपास के स्कूल, कॉलेज, बैंक और बाजार में खाली समय में जाएंगे। कॉलेज में प्रधानाचार्य से, बैंक में प्रबंधक और बाजार में कमेटी पदाधिकारियों से मिलेंगे। उन्हें विनम्रता से अपना परिचय देने के बाद बोलेंगे मे आइ हेल्प यू। पुलिसकर्मियों को देने के लिए विजिटिंग कार्ड डिजायन किया जा रहा है। इस पर पुलिस के हेल्प लाइन नंबर, यूपी 100, महिला हेल्प लाइन 1090 और चाइल्ड लाइन का हेल्प लाइन नंबर 1098 लिखे रहेंगे। इसके साथ ही यूपी कॉप, ट्रैफिक और टूरिज्म समेत पुलिस के अन्य एप के बारे में जानकारी होगी।
पुलिसकर्मी जिनसे मिलेंगे उन्हें समझाएंगे कि अगर किसी भी तरह की समस्या हो तो वे पुलिस के संबंधित हेल्प लाइन नंबर पर संपर्क करेंगे। पुलिसकर्मी जिन लोगों से मिलेंगे, उनकी सूची भी कंट्रोल रूम में देंगे। इससे पुलिस के पास एक डाटा बेस तैयार हो जाएगा और लोगों को पुलिस के एप और हेल्प लाइन नंबरों की जानकारी होगी। एसएसपी का कहना है कि इससे पुलिस की छवि सुधरेगी और समाज में पुलिस की पहुंच बढ़ेगी। अभी बैठक में मौखिक रूप से इसकी जानकारी दी है।
पहले भी हुए हैं प्रयास
सोशल पुलिसिंग और पुलिस की छवि सुधारने को यह पहला प्रयास नहीं है। इससे पहले पुलिस मित्र की योजना चली थी। यह योजना केवल कागजों में दफन होकर रह गई। बीट सिपाहियों को दिया गया दस गणमान्य लोगों से संपर्क करने के टारगेट भी केवल रजिस्टर में पूरे हुए।