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आगरा में चल रहा 'आपरेशन पहचान', अपराधियों पर शिकंजा कस रही पुलिस

अपराधियों की निगरानी को एडीजी जोन ने तैयार कराया साफ्टवेयर और मोबाइल एप। जोन के आठ जिलों के अपराधियों की पूरी कुंडली तैयार एक क्लिक पर मिलती है डिटेल। पहले चरण में आठ जिलों आगरा मथुरा फीरोजाबाद मैनपुरी अलीगढ़ हाथरस एटा और कासगंज के थानों की फीडिंग की गई।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 09:43 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 09:43 AM (IST)
आगरा में चल रहा 'आपरेशन पहचान', अपराधियों पर शिकंजा कस रही पुलिस
आगरा में आपरेशन पहचान के दौरान अपराधियों डाटा इकट्ठा हो चुका है।

आगरा, यशपाल चौहान। अब आगरा जोन में कोई अपराधी पुलिस की नजर से छिप नहीं पाएगा। अपराधियों और अपराध पर अंकुश लगाने को एडीजी जोन राजीव कृष्ण ने आपरेशन पहचान शुरू किया है। इसके तहत उन्होंने एक साफ्टवेयर, वेब एप और मोबाइल एप तैयार कराया है।सभी अपराधियों के अपराध का डाटा फीड हो चुका है। अब बीट सिपाही के माध्यम से जोन के 42346 अपराधियों का वेरीफिकेशन किया जा चुका है।

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वर्ष 1991 बैच के आइपीएस अधिकारी एडीजी जोन राजीव कृष्ण ने पुलिसिंग के अपने अनुभव के आधार पर आपरेशन पहचान की परिकल्पना की थी। उन्होंने खुद ही पूरा खाका तैयार किया। इसके बाद कंप्यूटर आपरेटर मोहित कुमार की मदद से साफ्टवेयर, वेब एप और मोबाइल एप तैयार कराया। मोहित साफ्टवेयर इंजीनियरिंग कर चुके हैं। इसलिए उन्हें इसका अच्छा अनुभव है। इसके लिए किसी प्राइवेट एजेंसी की भी मदद नहीं ली गई। पहले चरण में इसमें जोन के आठ जिलों आगरा, मथुरा, फीरोजाबाद, मैनपुरी, अलीगढ़, हाथरस, एटा और कासगंज के सभी थानों के दस वर्ष के अपराध की फीडिंग की गई। इसके बाद वेरीफिकेशन का दूसरा चरण शुरू हुआ। इसमें अब तक 42346 अपराधियों का वेरीफिकेशन कर लिया गया है।काम के दौरान पुलिसकर्मियों से मिल रहे सुझावों के आधार पर इसे अपडेट भी किया जा रहा है। एडीजी राजीव कृष्ण का कहना है कि जोन स्तर पर अपराधियों की मानीटरिंग में यह बहुत कारगर साबित होगा।

सीसीटीएनएस और त्रिनेत्र एप का गुरु है आपरेशन पहचान

सीसीटीएनएस में अपराध का रिकार्ड है और त्रिनेत्र एप अपराधी को सर्च करने के लिए बनाया गया है। त्रिनेत्र एप में अपराधी का फोटो अपलोड करने पर उसके नाम और पते के बारे में जानकारी मिलती है। मगर, पहचान एप पर एक तो अपराधी को सर्च करने के कई तरीके हैं। उसको हाइट, हुलिया, पहचान चिह्न, अपराध के माध्यम से भी सर्च किया जा सकता है। खास बात यह है कि पहचान एप से अपराधी का पूरा चिट्ठा खुल जाएगा।उसके अपराध, वर्तमान में वह कहां है? क्या कर रहा है? उसके जमानत दार कौन हैं? एक्टिव है या इनएक्टिव? इसकी भी जानकारी मिल जाएगी।वेरीफिकेशन के समय अपराधी के घर की लोकेशन भी एप में फीड हो जाती है। इससे उसका घर खोजने में आसानी रहती है।

ये हैं खूबियां

- इस साफ्टवेयर और एप के माध्यम से सिपाही से लेकर एडीजी तक जुड़े हैं। सभी अपने-अपने कार्यक्षेत्र के अपराध और अपराधियों के मूवमेंट और उनके अपराधों की रीयल टाइम जानकारी ले सकते हैं।

- गंभीर, सनसनीखेज और महिला संबंधी अपराध के आधार पर अपराधियों की कलर कोडिंग के साथ रैंकिंग की गई है।

- 122443 अपराधियों का डाटा फीड है। सभी की रेंकिंग मौजूद होने के कारण बीट से लेकर जोन तक के टाप टेन अपराधियों को छांटने में बहुत सुविधा रहती है।

- इस साफ्टवेयर से बीट प्रणाली को डिजिटलाइज किया गया है।

यह हैं लाभ

- कोई अपराध होने पर किसी अपराधी के बारे में जानकारी करनी है तो चंद सेकंड में हो जाएगी।वह जेल से बाहर है कि अंदर है। सक्रिय है या निष्क्रिय? मोबाइल नंबर सहित पूरी जानकारी और फोटो मिल जाएगा।

- अपराधी, उसके जमानतदार और स्वजन के मोबाइल नंबर चंद सेकंड में पुलिस को मिल जाएंगे? इससे उस तक पहुंचने में आसानी होगी।

- अपराधी का वेरीफिकेशन करने वाले बीट सिपाही का नंबर भी मिल जाएगा। उससे अपराधी के बारे में और जानकारी ली जा सकती है।

- बीट सिपाही से लेकर एडीजी तक की इस साफ्टवेयर से जवाबदेही तय हो जाएगी।

अपराधी पकड़े जाने पर सिपाही से लेकर एसपी तक नोटिफिकेशन

अब तक अपराधी पकड़े जाने पर अपना अपराध छिपा लेता था।पहचान साफ्टवेयर से वह ऐसा नहीं कर पाएगा। जोन के किसी जिले का अपराधी यदि दूसरे जिले में किसी अपराध में गिरफ्तार होने पर पिछले अपराध की भी जानकारी हो जाएगी। उसका नाम और पता साफ्टवेयर में फीड करते ही उसके मूल निवास के जिले में बीट सिपाही से लेकर एसपी तक इसका नोटिफिकेशन पहुंच जाएगा। इससे उन्हें जानकारी हो जाएगी कि उनके यहां का अपराधी किस अपराध में दूसरे जिले में गिरफ्तार हुआ है।

एडीजी खुद करते हैं मानीटरिंग

आपरेशन पहचान पर काम करने के लिए जोन स्तर से छह ट्रेनिंग सेशन आयोजित हो चुके हैं। इसमें कांस्टेबल से एसपी और एसएसपी स्तर तक के अधिकारी शामिल रहे। सभी आनलाइन ट्रेनिंग सेशन में आठ जिलों के 162 थानों के 5500 पुलिसकर्मियों ने हिस्सा लिया।अब प्रतिदिन एडीजी जोन राजीव कृष्ण खुद इसक मानीटरिंग करते हैं।

साफ्टवेयर से पता लगी प्रमुख बातें

- पांच फीसद गांव में 33 .83 फीसद अपराधी रहते हैं।

- 20 फीसद गांवाें में 72.80 फीसद अपराधी निवास करते हैं।

फैक्ट फाइल

कुल गांव और मोहल्ले- 21344

कुल अपराधी- 122443

कुल बीट और बीटकर्मी- 5461

अब तक वेरीफिकेशन- 42346


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