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Surrogacy Gang: कोख के सौदागर अंतरराष्ट्रीय गिरोह के पर्दाफाश में पुलिस की लचर जांच

मुख्‍य आरोपित नीलम से पूछताछ में नहीं उगलवा पाए गैंग की जानकारी। वैज्ञानिक तरीके से भी पुलिस अभी तक नहीं की जांच।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 07:37 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 08:56 AM (IST)
Surrogacy Gang: कोख के सौदागर अंतरराष्ट्रीय गिरोह के पर्दाफाश में पुलिस की लचर जांच
Surrogacy Gang: कोख के सौदागर अंतरराष्ट्रीय गिरोह के पर्दाफाश में पुलिस की लचर जांच

आगरा, यशपाल चौहान। अवैध तरीक से सरोगेसी और नेपाल में नवजातों को बेचने के अंतरराष्ट्रीय गैंग। संगठित गिरोह पेशेवर अंदाज में काम कर रहा था। पुलिस ने गैंग की एजेंट समेत पांच को गिरफ्तार कर अधूरा पर्दाफाश कर दिया। लेकिन तमाम सवाल ऐसे हैं, जिनके जवाब न तो विवेचना अधिकारी पर हैं और न ही मॉनीटरिंग करने वाले अधिकारियों पर। न सरोगेसी कराने वाले आइवीएफ सेंटर बेनकाब हुए और न ही गैंग के बड़े नाम। गैंग कैसे काम करता था? किसकी क्या भूमिका रहती थी? ऐसे तमाम सवाल हैं, जिनके आसपास भी अभी पुलिस की विवेचना नहीं पहुंची है। हाईटेक पुलिसिंग के दौर में अवैज्ञानिक तरीके से की जा रही लचर विवेचना से पूरे गैंग से परदा उठने की उम्मीद कम ही दिख रही है।

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फतेहाबाद क्षेत्र में आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद युवकों को फतेहाबाद थाने में ही रखा गया था। नीलम और रूबी को पुलिस महिला थाने में पूछताछ को लाई। यहां रातभर इनसे पूछताछ हुई, लेकिन उनसे गैंग के राज नहीं उगलवा सके। रात में ही उनके खिलाफ धोखाधड़ी, बच्चियों को अगवा करने और जेजे एक्ट की धारा में मुकदमा दर्ज कर लिया। गैंग की मुख्य एजेंट नीलम से मोबाइल बरामद हुआ था। पुलिस की एक टीम फरीदाबाद जाकर केवल उन डॉक्टरों को नोटिस देकर आई, जिनके नाम नीलम ने बताए थे। सरोगेसी कहां हुई थी? किसके माध्यम से हुई थी? कितनी महिलाएं नीलम के जाल में थी? इसकी कोई जानकारी अभी पुलिस के पास नहीं है। हाईटेक पुलिसिंग के जमाने में पुलिस अवैज्ञानिक तरीके से जांच कर रही है।इसीलिए अभी तक पूरे गैंग का पर्दाफाश नहीं हुआ है।

पुलिस ने अब तक ये किया

- नीलम के बयान के आधार पर फरीदाबाद के तीन डॉक्टरों को नोटिस देकर बुलाया। उनके बयान दर्ज कर लिए।

- पुलिस की एक टीम ने फरीदाबाद जाकर नीलम के घर के आसपास के लोगों से उसके बारे में जानकारी की।

- नीलम के माेबाइल की सीडीआर अब निकलवा ली, लेकिन उसकी स्टडी नहीं की।

- विवेचक ने केस डायरी में अब तक चार पर्चे काटे हैं। इनमे से गिरफ्तारी और पूछताछ के दो पर्चे पहले ही दिन काटे गए थे। फरीदाबाद पुलिस टीम के जाने पर तीसरा पर्चा कटा आैर चौथा पर्चा डॉक्टरों के बयान का कटा। दस दिन में चार पर्चे काटने के बाद फिलहाल विवेचना रुकी हुई है।

ये नहीं किया

- नीलम का मोबाइल थाने में रखा है, लेकिन सील है।कोर्ट से अनुमति लेकर उसकी सील खोलकर जांच करानी चाहिए थी।

- नीलम ने नेपाल में अस्मिता के बारे में बताया। यह भी बताया कि वह पूर्व में फरीदाबाद में रहती थी। मगर, कहां रहती थी और क्या करती थी? इसकी जानकारी नहीं की गई। वहां जाकर उसके बारे में पता लग सकता था।

- नीलम, रूबी व अन्य को पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेने की प्रक्रिया तक शुरू नहीं की। जबकि उनसे पूछताछ में अहम जानकारी मिल सकती हैं।

- नीलम ने शुरुआती पूछताछ में आइवीएफ सेंटर के बारे में बताया था। अब तक पुलिस वहां जाकर पड़ताल नहीं कर सकी। न ही हरियाणा पुलिस से समन्वय स्थापित करके जांच आगे बढ़ाई।

- एजेंट विक्रांत का नाम पता चल गया, लेकिन उसकी कॉल डिटेल निकलवाकर उसकी भी स्टडी नहीं की।

- मामला खुलने के कुछ दिन बाद ही विवेचक इंस्पेक्टर प्रवेश कुमार का स्थानांतरण हो गया। नए विवेचक बने इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार अभी विवेचना आगे नहीं बढ़ा सके हैं।

इस पूरे गैंग के पर्दाफाश के लिए एक विशेष टीम गठित की जा रही है। यह फरीदाबाद आैर नेपाल जाकर जांच करेगी। गैंग से जुड़े हर शख्स का नाम उजागर किया जाएगा।

बबलू कुमार, एसएसपी आगरा 


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