यूपी बार कौंसिल की पूर्व अध्यक्ष दरवेश यादव हत्याकांड में पुलिस ने लगाई एफआर Agra News
मुकदमे में साथी अधिवक्ता मनीष समेत तीन थे नामजद मनीष की हो चुकी है मौत। अन्य दो आरोपितों की हत्याकांड में नहीं मिली कोई भूमिका।
आगरा, जागरण संवाददाता। यूपी बार कौंसिल की पूर्व अध्यक्ष दरवेश सिंह यादव हत्याकांड में पुलिस ने एफआर लगा दी। इस मामले में मुख्य आरोपित अधिवक्ता मनीष बाबू शर्मा की मौत हो चुकी है जबकि उसकी पत्नी व एक अन्य आरोपित की इसमें कोई भूमिका नहीं निकली। पुलिस ने 10 गवाहों के बयानों के आधार पर इस मामले में एफआर लगाई है।
दीवानी में वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद मिश्रा के चैंबर में 12 जून को उप्र बार कौंसिल की तत्कालीन अध्यक्ष दरवेश यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्यारोपित साथी अधिवक्ता मनीष बाबू शर्मा ने भी खुद को गोली मार ली थी। 10 दिन बाद मनीष की मौत हो गई। दरवेश के भतीजे सनी ने न्यू आगरा थाने में मनीष बाबू शर्मा, उनकी पत्नी वंदना और अधिवक्ता विनीत गुलेच्छा के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में पुलिस ने प्रत्यक्षदर्शियों समेत अन्य गवाहों के बयान लिए। मनीष के हाथों से बेलेस्टिक टेस्ट को नमूने लिए गए। यह जांच को विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेज दिए गए। मुख्य आरोपित की मौत के बाद पुलिस की जांच ढीली पड़ गई। घटना में आठ चश्मदीद थे। इनमें से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद मिश्रा, मंजू द्विवेदी, प्रदीप यादव, मनोज यादव, सुनील कुमार, विभोर श्रीवास्तव और मुंशी उस्मान और दरवेश की बहन कंचन शामिल हैं। इन सभी के पुलिस ने बयान दर्ज किए। इसके साथ ही इंस्पेक्टर सतीश और सनी के भी पुलिस ने मुकदमे में बयान लिए। चश्मदीदों के बयान लगभग एक जैसे ही थे। सभी के बयानों के आधार पर पुलिस इस नतीजे पर पहुंच गई कि दरवेश की ख्याति से मनीष ईष्र्या करने लगा था। इसीलिए दोनों के बीच तनाव था। स्वागत समारोह में अकेले उसी ने गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद खुद को भी गोली मार ली। इस तरह हत्याकांड में अकेला वही शामिल था। उसकी मौत हो चुकी है। इसलिए पुलिस ने बिना बेलेस्टिक टेस्ट की रिपोर्ट के आए मामले में अंतिम रिपोर्ट लगा दी। इंस्पेक्टर न्यू आगरा राजेश कुमार पांडेय ने बताया कि साक्ष्यों के आधार पर मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगाई गई है,जल्द ही न्यायालय में प्रस्तुत की जाएगी।
कंचन ने ये दिए थे बयान
कंचन ने पुलिस को बताया कि मनीष बात-बात पर दरवेश से लड़ता था। वह उन्हें अपने अधीन रखना चाहता था। दरवेश के बार कौंसिल अध्यक्ष बनने के बाद वह खुश नहीं था। हालांकि स्वागत समारोह के दौरान घटना वाले दिन भी उसने खुशी का दिखावा किया। चिंता हरण मंदिर पर मिलकर उसने दरवेश को माला पहनाई और जिंदाबाद के नारे भी लगाए थे। चैंबर में इंस्पेक्टर सतीश को देखकर उसे गुस्सा आ गया। कहने लगा कि इसे क्यों बुलाया। दरवेश ने इन्कार किया कि उन्होंने नहीं बुलाया। इसके बाद बात बढ़ गई और मनीष ने अपनी लाइसेंसी पिस्टल निकालकर दरवेश को गोली मार दी। कंचन ने अपने बयान में यह भी कहा कि विनीत गुलेच्छा का कोई रोल नहीं है। दरवेश उन्हें भाई मानती थी। उनके बेटे के मुंडन में भी बहन की तरह रस्म निभाईं। मगर, विनीत उस दिन मनीष को न लाते तो शायद घटना नहीं होती।
कब क्या हुआ
- 12 जून को तत्कालीन उप्र बार कौंसिल की चेयरमैन दरवेश यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई। आरोपित मनीष ने भी खुद को गोली मार ली थी।
- 22 जून को आरोपित मनीष बाबू शर्मा की भी मौत हो गई।
- 23 जून अधिवक्ताओं मनीष के स्वजनों ने मामले की सीबीआइ जांच की मांग की।