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खुली खिड़की: साहब के थर्ड अंपायर से खिलाड़ी हो रहे परेशान, तलाश रहे अब नया मैदान Agra News

स्टेशन के बाहर फील्डिंग जमाने वालों को आउट करने के लिए उन्होंने थर्ड अंपायर (कैमरे) की मदद लेनी शुरू कर दी है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 03 Jan 2020 02:29 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 02:29 PM (IST)
खुली खिड़की: साहब के थर्ड अंपायर से खिलाड़ी हो रहे परेशान, तलाश रहे अब नया मैदान Agra News
खुली खिड़की: साहब के थर्ड अंपायर से खिलाड़ी हो रहे परेशान, तलाश रहे अब नया मैदान Agra News

आगरा, गौरव भारद्वाज। लौहपथ गामिनी विभाग के सुरक्षा वाले महकमे में हलचल है। नए साहब कायदे कानून के बड़े ही सख्त हैं। स्टेशन के बाहर फील्डिंग जमाने वालों को आउट करने के लिए उन्होंने थर्ड अंपायर (कैमरे) की मदद लेनी शुरू कर दी है। थर्ड अंपायर गेट के बाहर ही तैनात है। दूर गांव से जब कोई ताजनगरी आता है तो उन्हें लपकने के लिए फील्डिंग सजाए बैठे खिलाड़ी सक्रिय हो जाते हैं। उसी समय साहब इनकी हरकतों पर नजर रख रहे होते हैं। जैसे ही कोई आगे बढ़ता है, साहब भी सक्रिय हो जाते हैं। स्टेशन पर तैनात साहब की घंटी बजती है तो वह भागे-भागे आते हैं। फिर इसके बाद जमकर बैटिंग होती है। साहब के थर्ड अंपायर से खिलाड़ी परेशान हैं। अब निगाह से बचने को उन्होंने नई जगह तलाशनी शुरू कर दी है।

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काहे संख्या बढ़ा रहे

हैलो-हैलो विभाग में हालत बड़ी खराब है। ऐसे में बोझ कम करने के लिए ‘कर्मचारी एक मुश्त समाधान योजना’ लागू की गई। योजना का लाभ लेने को तीन सैकड़ा से अधिक ने आवेदन किया। आवेदन करने वालों के नाम भी सामने आ गए। योजना में भागीदारी करने वाले लोग जब हैलो-हैलो विभाग पहुंचे तो उनके साथ वालों ने पूरी तैयारी की हुई थी, किसको कितना मिलेगा, इसका पूरा हिसाब निकाल के रखा हुआ था। बधाई का दौर भी चला। अब जब योजना के लाभार्थी रोज विभाग आने लगे तो उनके साथ वाले उनसे चुटकी ले रहे हैं। कहते हैं, अब तो घर रहने की आदत डाल लो। काहे यहां संख्या बढ़ा रहे हो। कोई कहता है, जाने के बाद हमे भूल मत जाना। दिनभर इन बातों पर चर्चा होती है और काम पूरा हो जाता है। कुछ ऐसे भी है जो अभी से निजी कंपनियों में अपने कॅरियर को लेकर जुगाड़ लगा रहे है।

पीड़ा ट्रांसफर कर दो

पिछले दिनों सूबे में सीएए को लेकर जमकर हो-हल्ला हुआ। ताजनगरी की सरहद तक भी तपिश आ पहुंची। यह तपिश ताजनगरी में ‘एंटर’ न करे, इसके लिए 21वीं सदी के सशक्त माध्यम पर पहरा लगा दिया गया। कारोबार प्रभावित हुआ और हजारों की ‘ब्रेड-बटर’ खराब हुई सो अलग। ऐसे में सभी लोग बोस के नाम वाले बाजार में बैठने वाले कारोबारी प्रमुख जी के पास पहुंचे। बोले प्रमुख जी, बिना बात के रोजाना की बंदी से बड़ी दिक्कत होवे है। आप तो ऊपर तक पकड़ रखे हो, हम लोगन के पीड़ा कू ऊपर तक ट्रांसफर कर दो। जासू आपको भी विरोध दर्ज है जावेगो और हमारा काम भी है जावेगो। साथियन की बात के बाद प्रमुख जी ने खबर वालन के पास घंटी मारी और बोले नेक हमारा भी विरोध दर्ज कर दियो। साथियन को भी लगे कि हम उनके साथ हैं।

‘एक बीमार’ के वार

सरकारी की वित्तीय गाड़ी चलाने में अहम भूमिका निभाने वाले जीएसटी के ‘एक बीमार’ साहब के इन दिनों विभाग में खूब हल्ले हैं। साहब को ताजनगरी से ऐसी मुहब्बत हुई कि यहां से जाने का मन ही नहीं कर रहा। पांच माह पहले साहब को आजादी की क्रांति भड़काने वाले शहर भेजा गया था। साहब पहुंचे, लेकिन उन्हें वहां की हवा रास नहीं आई। जाते ही साहब बीमार पड़ गए। इलाज के लिए उन्हें वहां कोई डॉक्टर ही नहीं मिले। ताजनगरी ही उन्हें अपनी सेहत के लिए मुफीद लगी। साहब पांच माह से यहां पर आराम फरमा रहे हैं। बीमार रहते ही वह अपने शिकारों पर वार कर रहे हैं। उनके चर्चे इतने हैं कि विभाग में आज भी उनके कहे पर काम हो रहा है। बीमार साहब के सताए हुए लोग फरियाद को पहुंचते हैं, लेकिन साहब की पहुंच ऐसी कि कोई उनका बाल भी बांका नहीं कर पाया।


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