Pitra Paksha 2020:जरूर करें आज ये 5 काम, जो दिला सकते हैं आपके पितरों को मुक्ति
Pitra Paksha 2020पाप नाश और पितरों की शांति के लिए आश्विन मास की इंदिरा एकादशी का विशेष महत्व है।
आगरा, जागरण संवाददाता। हिन्दू धर्मशास्त्रों में शरीर और मन को संतुलित करने के लिए व्रत और उपवास के नियम बनाये गए हैं। तमाम व्रत और उपवासों में सर्वाधिक महत्व एकादशी का है जो माह में दो बार पड़ती है- शुक्ल एकादशी और कृष्ण एकादशी एकादशी में भगवान विष्णु या उनके अवतारों की पूजा की जाती है।
धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार आश्विन मास में एकादशी उपवास का विशेष महत्व है। इससे मन और शरीर दोनों ही संतुलित रहते हैं। इस समय एकादशी के उपवास से गंभीर रोगों से रक्षा होती है। पाप नाश और पितरों की शांति के लिए आश्विन मास की इंदिरा एकादशी का विशेष महत्व है। इससे अपने पापों का नाश तो होता ही है, पूर्वजों को भी मुक्ति मिलती है।
इस प्रकार करें पूजा
- इस दिन प्रातः उठकर स्नान करने के बाद पहले सूर्य को अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरुप की आराधना करें।
- उनको पीले फूल, पंचामृत तथा तुलसी दल अर्पित करें. फल भी अर्पित कर सकते हैं।
- इसके बाद भगवान का ध्यान करें तथा उनके मन्त्रों का जप करें।
- इस दिन पूर्ण रूप से जलीय आहार लें अथवा फलाहार लें तो इसके श्रेष्ठ परिणाम मिलेंगे।
- इस दिन फलाहार का दान करें और गाय को भी फल आदि खिलाएं
- अगले दिन प्रातः निर्धन लोगों को भोजन कराएं, वस्त्र आदि का दान करें।
- फिर स्वयं भोजन करके व्रत का समापन करें।
- इस दिन मन को ईश्वर में लगायें, क्रोध न करें, असत्य न बोलें।
पितरों के लिए विशेष प्रयोग
पंडित वैभव बताते हैं कि जब कभी श्राद्ध श्रद्धा से न करके दबाव से किया जाता है या अयोग्य व्यक्ति के द्वारा किया जाता है तो श्राद्ध के बावजूद भी मुक्ति नहीं होती। पितृ पक्ष की एकादशी के दिन महाप्रयोग करके इस समस्या का निदान किया जा सकता है
- एकादशी के दिन उरद की दाल, उरद के बड़े और पूरियां बनाएं। चावल का प्रयोग न करें।
- एक कंडा जला लें और उस पर एक पूरी में रखकर उरद की दाल और उरद के बड़े की आहुति दें।
- पास में एक जल से भरा पात्र भी रखें।
- फिर भगवद्गीता का पाठ करें।
- निर्धनों को भोजन कराएं और उनसे आशीर्वाद लें।
इंदिरा एकादशी पर कैसे पितरों की आत्मा को शांति दें?
- इसके लिए भगवान को फल और तुलसी दल अर्पित करें।
- भगवान के समक्ष भगवदगीता का पाठ करें।
- निर्धनों को फल का दान करें।
- एक तुलसी का पौधा जरूर लगाएं।
- किसी सार्वजनिक स्थान पर पीपल का पौधा लगा दें।