Move to Jagran APP

ताज महोत्सव का ये है हाल, सुर सजते रहे-दाद देने वाले नदारद

-देशभर से आ रहे कलाकार तालियों को भी तरस रहे दर्शक नदारद गुरुवार रात खाली पड़ा रहा पंडाल पहली पंक्ति के सोफे भी रहे खाली

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 07:00 AM (IST)
ताज महोत्सव का ये है हाल, सुर सजते रहे-दाद देने वाले नदारद
ताज महोत्सव का ये है हाल, सुर सजते रहे-दाद देने वाले नदारद

आगरा, जागरण संवाददाता। ताज महोत्सव। 28 वर्षों से ताजनगरी में हो रहा कला, शिल्प, व्यंजन का उत्सव। महोत्सव में इस बार सुर तो सज रहे हैं, लेकिन दाद देने वाले नदारद हैं।

loksabha election banner

गुरुवार रात देशभर से आए कलाकारों ने वर्षों की साधना से मंच को झंकृत किया। एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां हुईं, लेकिन दाद देने वाले नहीं थे। दर्शकों की संख्या तो छोड़िए, पहली पंक्ति के वीआइपी सोफे भी खाली पडे़ रहे। कलाकार तालियों को भी तरस गए। इसकी कसक भी उनके चेहरों पर साफ नजर आई।

ताज महोत्सव के चौथे दिन मंच पर गायन, कथक, भजन गायकों के कई बड़े नामों की प्रस्तुति हुई, लेकिन पंडाल शाम से ही खाली पड़ा रहा। मुख्य कलाकारों के मंच पर आने से पूर्व ही दर्शक जा चुके थे। पंडाल में गिनती के भी दर्शक नहीं थे। इनमें भी पर्यटन विभाग के कर्मचारी, पुलिसकर्मी और मीडियाकर्मी थे। ताज महोत्सव में पहले दिन 300, दूसरे दिन चार हजार, तीसरे दिन 2480 टिकट ही बिके हैं।

चलो कुंभ चलें, प्रयागराज चलें..

मुंबई से आए गायक प्रेमप्रकाश दुबे का स्वास्थ्य सही नहीं था। उन्होंने भजन 'चलो कुंभे चलें, प्रयागराज चलें..' और 'प्रयाग नगरी संगम के तीरे..' सुनाए। लखनऊ घराने की रश्मि शर्मा ने कथक की प्रस्तुति दी। शुरुआत शिव स्तुति से हुई। परंपरागत कथक के बाद उन्होंने फाल्गुनी रंगत बिखेरती होली की प्रस्तुति में भाव नृत्य किया। उठान, थाट, आमद, तोड़े, परण गत भाव और लड़ी की प्रस्तुतियों से मनमोह लिया।

किस तरह याद करूं..

मुख्य मंच पर गुरुवार शाम आन्शवना सक्सेना ने गजल 'किस तरह याद करूं' और होली गीत 'रंग डारो-डारो..' की प्रस्तुति दी। सुभाष सक्सेना ने गजल 'आग है, पानी है, मिट्टी है, हवा है मुझमें..' सुनाई। प्रहलाद सिंह व साथी कलाकारों ने जिकड़ी भजन प्रस्तुति किया। अरविंद मसीह ने शास्त्रीय सितार वादन, संजय विश्वकर्मा, अथर्व ने गीत गाए। मंच संचालन देवप्रकाश शर्मा ने किया।

आज ब्रज में होरी रे रसिया..

लखनऊ की वंदना मिश्रा ने गीत 'हर करम अपना करेंगे ऐ वतन तेरे लिए..', 'रश्के कमर..', आज ब्रज में होरी रे रसिया..' गीत सुनाया। आशुतोष श्रीवास्तव ने गजल वो ख्यालों से लिपटकर मेरे रोए होंगे.. और चिट्ठी आई है, आई है.. सुनाईं। बनारस घराने के ऋषि मिश्र ने शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति देते हुए गीत 'जब पिया मिलन आए..' और 'कागा सब तन खाइयो..' सुनाए। काम्या कुलकर्णी ने कथक की भावपूर्ण प्रस्तुति दी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.