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UP: सरकारी स्‍कूलों के शिक्षकों के लिए पे रोल माड्यूल बनेगा सहारा, समय से आएगा अब वेतन

खंड शिक्षाधिकारी और ब्लाक बिल बाबू की मनमानी से मिलगी निजात। जिले के साढ़े आठ हजार से ज्यादा शिक्षकों सीधे तौर पर होगा लाभ। जबकि प्रदेशभर के करीब साढ़े पांच लाख परिषदीय शिक्षक लाभांवित होंगे। माड्यूल पोर्टल पर शिक्षकों की छुट्टियों का बहीखाता मौजूद होगा।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Fri, 12 Mar 2021 07:03 AM (IST)Updated: Fri, 12 Mar 2021 07:03 AM (IST)
UP: सरकारी स्‍कूलों के शिक्षकों के लिए पे रोल माड्यूल बनेगा सहारा, समय से आएगा अब वेतन
उत्‍तर प्रदेश में अब सरकारी स्‍कूल के शिक्षकों को समय से वेतन मिलेगा।

आगरा, जागरण संवाददाता। जिले के परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को दो महीनों से वेतन नहीं मिला, जिससे वह परेशान हैं। लेकिन उनकी यह परेशान अब जल्द ही दूर होने जा रही है। बेसिक शिक्षा विभाग नए सत्र से पे रोल माड्यूल लागू करने जा रही है। इससे जिले के करीब साढ़े आठ हजार जबकि प्रदेशभर के करीब साढ़े पांच लाख परिषदीय शिक्षक लाभांवित होंगे।

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इसके लागू होने के बाद सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों को न सिर्फ समय पर वेतन मिलेगा, बल्कि छुट्टी में होने वाले खेल से निजात मिलेगी। बता दें कि मार्च आने के बाद भी जिले के शिक्षकों को जनवरी और फरवरी का वेतन नहीं मिला है। फिलहाल प्रदेश के 200 ब्लाकों में यह 'पे रोल माड्यूल लागू किया जा चुका है। अब इसे प्रदेश के सभी 822 ब्लाक में लागू करने की तैयारी है। शिक्षकों को वेतन अमूमन महीने की पांच से 10 तारीख के बीच मिल जाता है। जिले में सिर्फ फतेहाबाद और धनौली ब्लाक में ही इस तकनीक से वेतन जारी किया हैं। शेष ब्लाक के शिक्षक तैयार हैं, फिर भी तक ज्यादातर ब्लाकों में फरवरी का वेतन नहीं मिल पाया है। वेतन बनाने का काम खंड शिक्षाधिकारी स्तर पर होता है। शिक्षकों की उपस्थिति आदि के आधार पर बीईओ वेतन बिल वित्त व लेखाधिकारी के पास जमा करते हैं, इसके बाद वेतन जारी होता है।

यूं करेगा काम

माड्यूल पोर्टल पर शिक्षकों की छुट्टियों का बहीखाता मौजूद होगा। उसके हिसाब से वेतन बना कर खंड शिक्षाधिकारी के डिजिटल हस्ताक्षर वित्त एवं लेखाधिकारी के पास वह बिल आनलाइन जाएगा और निश्चित समय सीमा में वेतन जारी किया जाएगा। छुट्टी मंजूर करने के लिए भी समय सीमा में व अफसरों की जवाबदेही तय है। इसके लागू होने के बाद अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर शासन नजर रख सकेगा और शिक्षकों को बीईओ कार्यालय से चक्कर लगाने से निजात मिलेगी। 


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