Virus in Agra: पारवो वायरस की चपेट में शहर के श्वान, पढ़ें क्या है ये नई मुसीबत
Virus in Agra रोटवीलर पग और हस्की प्रजाति पर ज्यादा खतरा। टीकाकरण न होने से होता है यह रोग। वायरस की चपेट में आते ही श्वानों को उल्टी और खूनी दस्त शुरू हो जाते हैं। वह खाना पीना छोड़ देते हैं।
आगरा, जागरण संवाददाता। बदलते मौसम में पारे के उतार-चढ़ाव का असर श्वानों की सेहत पर दिखाई दे रहा है।शहर के श्वानों पर कैनाइन पारवो वायरस का आक्रमण हो चुका है। रोग की चपेट में आकर कुत्तों की लगातार मौत हो रही है। पशु चिकित्सकों के पास हर रोज पारवो वायरस की शिकायत के साथ पहुंचने वाले श्वानों की संख्या में इजाफा हो रहा है।
क्या है पारवो वायरस?
इसकी चपेट में आते ही श्वानों को उल्टी और खूनी दस्त शुरू हो जाते हैं। वह खाना पीना छोड़ देते हैं। इसके पीछे समय से टीकाकरण न होना मुख्य कारण है। यह वायरस श्वान के शरीर में सात दिन तक सक्रिय रहता है। यह वायरस दो-तीन महीने के श्वानों के बच्चों पर ज्यादा निशाना बनाता है।
किस उम्र में लगते हैं टीके
श्वान का बच्चा जब 35 दिन का हो तो उसे पहला टीका लगता है। 45-60 दिन के बीच दूसरा टीका, 75-90 दिन के बीच तीसरा टीका, 120 दिन का होने पर चौथा टीका और उसके बाद हर साल कुत्ते को टीका लगवाया जाना चाहिए।
हर रोज आ रहे 20 केस
पशु चिकित्सक डा. संजीव नेहरू ने बताया कि उनके पास हर रोज 20 श्वान पारवो की शिकायत के साथ आ रहे हैं। यह वायरस कुछ प्रजातियों पर ज्यादा घातक है, इनमें रोटवीलर, पग और हस्की शामिल है। इन प्रजातियों के श्वानों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। डा. मुकेश श्रीवास्तव ने बताया कि इस समय कैनल कफ भी तेजी से श्वानों में फैल रही है।यह संक्रमण जिस घर में एक से ज्यादा श्वान हैं, वहां ज्यादा है।श्वान इसमें खांसते हैं, इसके इलाज के लिए दवाओं के साथ ही टीकाकरण भी बेहद जरूरी है।