स्वदेसी पैराशूट से उतरेगा Gaganyaan, आगरा में हो चुके हैं ट्रायल Agra News
एएन-32 और आइएल-76 विमान से पैराशूट का सफल ट्रायल। एडीआरडीई विकसित कर रही पैराशूट हुए दो ट्रायल।
आगरा, अमित दीक्षित। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वाकांक्षी मिशन गगनयान के लिए हवाई वितरण अनुसंधान एवं विकास संस्थापन (एडीआरडीई) स्वदेसी पैराशूट तैयार कर रहा है। पिछले सप्ताह इस पैराशूट के दो ट्रायल अलग-अलग विमानों से किए गए। इस पैराशूट के अब तक आधा दर्जन ट्रायल हो चुके हैं जबकि मिशन के लिए करीब सौ ट्रायल किए जाएंगे।
पीएम नरेंद्र मोदी अंतरिक्ष में 2022 तक गगनयान भेजने की बात कर चुके हैं। इसरो ने इसे अपना महत्वाकांक्षी लक्ष्य बना लिया है। इसे दो चरणों में किया जाना है। पहला अभियान इसी साल दिसंबर, दूसरा जुलाई 2021 (दोनों मानव रहित होंगे) तक भेजा जाएगा। अगर यह दोनों अभियान सफल रहते हैं तो मानव सहित अभियान दिसंबर 2021 में प्रस्तावित है।
एडीआरडीई इस अभियान के लिए स्वदेसी पैराशूट विकसित कर रहा है। यह पैराशूट पांच टन के वजन को आसानी से आसमान से पानी में उतार देगा। पिछले सप्ताह मलपुरा ड्रॉपिंग जोन में एएन-32 और आइएल-78 से पैराशूट के दो ट्रायल किए गए। दोनों ट्रायल में विमान चार हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर गए और फिर वहां से कैप्सूलनुमा सामान में पैराशूट बांधकर फेंका गया। दोनों ट्रायल में एडीआरडीई के अलावा इसरो, आर्मी और एयरफोर्स के अफसरों की टीम शामिल रही। एडीआरडीई के निदेशक एके सक्सेना ने बताया कि गगनयान में इस्तेमाल किए जाने वाले स्वदेसी पैराशूट के करीब सौ ट्रायल होंगे। अब तक आधा दर्जन से अधिक ट्रायल हो चुके हैं।
पैराशूट की खासियत
पैराशूट में उन्नत किस्म के नायलॉन, कैबलार सहित अन्य मेटेरियल का प्रयोग किया गया है। यह मैटेरियल मुंबई, अहमदाबाद सहित अन्य शहरों में बन रहा है।
प्रदर्शित किए गए पैराशूट
तीन से सात जनवरी तक 107वीं इंडिया साइंस कांग्रेस का आयोजन बेंगलुरू शहर में किया जा रहा है। प्रदर्शनी में एडीआरडीई ने विभिन्न तरीके के पैराशूट प्रदर्शित किए हैं।