कैसे हो शहर का विकास, बजट की है दरकार, आठ माह में बस इतनी ही मिली धनराशि
जिले के विकास और विभागों के खर्च के लिए कोरोना काल से पहले जिला योजना के तहत फरवरी में उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा की मौजूदगी में 41 विभाग/योजनाओं के लिए 510 करोड़ रुपये का बजट पास किया गया था।
आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना काल में विकास शहर के विकास का पहिया लगभग थम सा गया है। स्मार्ट सिटी योजना के कार्यों को छोड़ दिया जाए तजो अन्य योजनाओं को बजट नहीं मिल पा रहा। इसके चलते शहर की तमाम योजनाएं अधर में लटकी हुई हैं। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिला योजना के तहत सिर्फ आठ विभाग/योजनाओं को ही धनराशि अवमुक्त की जा सकी है। इसमें उसमें अधिकांश धनराशि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के रोजगार कार्यक्रम पर खर्च की गई। जिले के विकास और विभागों के खर्च के लिए कोरोना काल से पहले जिला योजना के तहत फरवरी में उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा की मौजूदगी में 41 विभाग/योजनाओं के लिए 510 करोड़ रुपये का बजट पास किया गया था। इसमें सबसे अधिक धनराशि (87 करोड़ रुपया) सड़क और पुल निर्माण के लिए रखी गई थी। इसके अलावा 75 करोड़ रुपया परिवार कल्याण, 66 करोड़ ग्रामीण स्वच्छता (पंचायतीराज), 40 करोड़ ग्राम्य विकास के लिए बजट था। इनमें से आठ किसी को भी अब तक एक धेला भी नहीं मिला है। इस अवधि में सबसे अधिक रोजगार कार्यक्रम को धनराशि अवमुक्त हुई है। इस वित्तीय वर्ष में रोजगार कार्यक्रम के लिए 75 करोड़ रुपये का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया था। इसमें अब तक 40 करोड़ रुपया मिल चुका है। दरअसल, लाकडाउन में मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया था। इसलिए अनलाक प्रक्रिया शुरू होते ही सबसे पहले महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत मजदूरों के लिए काम शुरू कराए गए। यही वजह है, इसमें सबसे अधिक धनराशि अवमुक्त की गई। अब तक रोजगार कार्यक्रम के लिए 40 करोड़, वन विभाग को 1.56 करोड़, अनुसूचित जाति कल्याण विभाग को 50 लाख दिए गए हैं।