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आंबेडकर विवि में एक और घोटाले की खुुुुली पोल, करोड़ों की फीस का है ये मामला Agra News

पांच वर्षों में परीक्षार्थियों के हिसाब से फीस में 10 करोड़ कम आए। मैनपुरी के एक कॉलेज का 34 लाख के चेक का भी खुर्द-बुर्द।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 01:57 PM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 01:57 PM (IST)
आंबेडकर विवि में एक और घोटाले की खुुुुली पोल, करोड़ों की फीस का है ये मामला Agra News

आगरा, गौरव प्रताप सिंह। घोटालों के लिए बदनाम हो चुके डा.आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के खाते में एक और घोटाला जुड़ गया है। पिछले पांच वर्षों के दौरान परीक्षार्थियों की संख्या के हिसाब से 10 करोड़ की फीस कम पाई गई। मामले में विवि प्रशासन ने सघन जांच शुरू करा दी है।

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वित्ताधिकारी एके सिंह ने करीब दो महीने पहले फीस के कागजात खंगाले। वर्ष 2014 से लेकर 2019 तक के परीक्षार्थियों की संख्या के हिसाब से इनसे ली गई फीस की धनराशि में करीब 10 करोड़ की हेराफेरी सामने आई। जांच की परतें उधेड़ीं तो कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर हो गए।

मैनपुरी के एक कॉलेज ने सत्र 2016 में विवि प्रशासन की अनुमति से फीस की धनराशि 34 लाख रुपये का चेक विवि के अकाउंट विभाग में जमा किया था। मगर, विवि के खाते में ये रकम ट्रांसफर नहीं हुई। अकाउंट विभाग के अभिलेखों में बैंक की वो स्लिप भी थी जो चेक जमा करने के बाद ग्राहक को दी जाती है। जांच में पता चला कि बैंक की ये स्लिप फर्जी थी। संबंधित बैंक ने इस चेक को अपने यहां जमा होने से ही इन्कार किया है। आशंका है कि कॉलेज संचालक और अकाउंट विभाग की मिलीभगत से विवि को 34 लाख की चपत लगाई गई है।

ऐसे भी हुआ खेल

कॉलेज संचालक एजेंसी पर छात्र का फॉर्म भरते हैं। वहां से एमआइएस जनरेट होता है। इसे लेकर बैंक में फीस जमा करनी होती है। बैंक की मोहर लगे चालान को कॉलेज संचालक विवि के अकाउंट विभाग में जमा कर देते हैं। इस प्रक्रिया से फीस की रकम विवि के खाते में ट्रांसफर हो जाती है। जांच के दौरान पता चला है कि कई चालानों में बैंक की ये मुहर फर्जी लगाई गई थी। बैंक और एजेंसी के चालान के मिलान में इसी तरह के कई मामले उजागर हुए हैं। ये हेराफेरी भी विवि के अकाउंट विभाग की मिलीभगत के बगैर संभव नहीं है।

और बढ़ेगी घोटाले की धनराशि

तीन महीने की इस जांच से पता चला कि संबंधित कॉलेजों ने फीस का वास्तविक भुगतान ही नहीं किया। विवि कर्मियों से सांठगांठ कर फीस भुगतान की कागजी प्रक्रिया अपनाई गई। पूरी जांच होने के बाद घोटाले की रकम का आंकड़ा और बढ़ सकता है।

किया जा रहा एजेंसी और बैंक के चालान का मिलान

बीते पांच साल में करीब दस करोड़ रुपये फीस जमा नहीं होने की आशंका है। मैनपुरी के एक कॉलेज की कारस्तानी भी चौंकाने वाली है। सत्र 2014 से लेकर 2019 तक एजेंसी और बैंक के चालान का मिलान कराया जा रहा है।

एके सिंह, वित्ताधिकारी

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा 


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