जैन दादाबाड़ी में प्राचीन सीढि़यां और दीवार मिली
450 वर्ष पुराने मूलनायक महावीर स्वामी के तलघर मंदिर का हो रहा जीर्णोद्धार तलघर स्थित मंदिर में मूर्ति के सामने की दीवार हटाने पर मिलीं सीढि़यां व दीवार
आगरा,जागरण संवाददाता। वर्धमान महावीर स्वामी जैन मंदिर, दादाबाड़ी, शाहगंज में प्राचीन दीवार और सीढि़यां मिली हैं। दीवार ककइया ईंटों की बनी है। यहां 140 वर्ष पुराने मूलनायक भगवान महावीर स्वामी के मंदिर के नीचे तलघर है। तलघर मंदिर में जाने का मूल मार्ग मिलने के बाद अब इसका जीर्णोद्धार कराया जा रहा है।
रविवार को जैन दादाबाड़ी में हुई प्रेसवार्ता में निर्माण कमेटी के संयोजक सुनील कुमार जैन ने बताया कि तलघर मंदिर में श्रद्धालु बाद में बनाई गई सीढि़यों से जाते थे। जैन धर्म के अनुसार मूर्ति के सामने खुला स्थान होना चाहिए। तलघर मंदिर में ऐसा नहीं था। यहां दृष्टि दोष था, जिसे दूर करने को जब मूर्ति के सामने से दीवार हटाई गई तो पता चला कि इसे कभी बंद किया गया था। बहुत संभव है कि मुगल काल में औरंगजेब के समय प्राचीन मूर्ति को सुरक्षित रखने के लिए उसके सामने दीवार बना दी गई हो। दीवार हटाने के बाद खोदाई में तलघर मंदिर तक जाने को बनी प्राचीन सीढि़यां मिली हैं। दोनों ओर ककइया ईंटों की दीवार है। दादाबाड़ी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष उत्तम चंद जैन ने बताया कि श्रद्धालु 140 वर्ष पुराने मूलनायक महावीर स्वामी के मंदिर में पूजा-अर्चना कर तलघर मंदिर में जाते हैं। अब उन्हें तलघर मंदिर में सामने से ही प्रवेश मिल सकेगा। यहां दोनों ओर की दीवारों पर जैन धर्म से संबंधित कथाओं का चित्रण कराया जाएगा। ऐसा प्रतीत होता है कि मूलनायक भगवान महावीर स्वामी तलघर मंदिर में विराजमान हैं। यहां वेदी भी हैं, जिनमें अन्य भगवानों की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। कमलचंद जैन, महेंद्र जैन, ब्रजेंद्र लोढ़ा, मनीष गादिया, प्रेम ललवानी आदि मौजूद रहे। दादाबाड़ी से जुड़ा है मुगलकालीन इतिहास
जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के अध्यक्ष राजकुमार जैन ने बताया कि दादाबाड़ी से मुगलकालीन इतिहास जुड़ा हुआ है। यहां से आचार्य हीर विजय सूरी ने मुगल शहंशाह अकबर को अहिसा का संदेश दिया था। यहां 450 वर्ष पुराना महावीर स्वामी का तलघर मंदिर, हीरविजय सूरी की प्राचीन चरण पादुका, भैरव देव का मंदिर और दादा गुरुदेव की प्राचीन छतरी है। यहां गुरुदेव आचार्य राजेंद्र सूरी और आचार्य राजशेखर महाराज द्वारा स्थापित 24 जिनालय हैं। गुजरात शैली में यह मंदिर बना है।