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Chaitra Navratri 2021: चाहिए अगर अपनी “पूजा का फल” तो माता काे जरूर अर्पित करें ये फल

Chaitra Navratri 2021 शास्त्रों में नवरात्र के प्रत्येक दिन के लिए बताया गया है माता का प्रिय फल। हर दिन माता के पसंद का फल अर्पित करने से मिलता है विशेष फल। आज माता को चढ़ाए तीन केले जरूर।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 08:52 AM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 08:52 AM (IST)
Chaitra Navratri 2021: चाहिए अगर अपनी “पूजा का फल” तो माता काे जरूर अर्पित करें ये फल
तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा को दूध या दूध से बनी चीजें अर्पित करनी चाहिए।

आगरा, जागरण संवाददाता। मां भवानी को सर्वाधिक पसंद है साधक के मन की भक्ति। पवित्र मन से यदि मां को कुछ भी समर्पित किया जाए तो वे अपनी संतान की सहर्ष इच्‍छा पूरी करती हैं। ज्‍योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा के अनुसार यदि संभव हो तो तिथि के अनुसार मां को विविध फलों का भोग लगाना चाहिए। शास्‍त्रों के अनुसार में हर देवी को अलग और एक निश्चित संख्‍या में फल चढ़ाना चाहिए।

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 प्रतिपदा

चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन माता को गाय के दूध से बने पकवानों का भोग लगाया जाता है। पिपरमिंट युक्त मीठा मसाला पान, अनार और गुड़ से बने पकवान भी देवी को अर्पण किए जाते हैं। वहीं फल में देवी शैलपुत्री को एक अनार का फल जरूर चढ़ाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि अनार चढ़ाने से देवी जल्द प्रसन्न होती हैं। अनार उनका प्रिय फल भी माना जाता है।

द्वितीया

नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा की ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा होती है। मातारानी को को चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगाया जाता है। देवी को इस दिन पान-सुपाड़ी भी चढ़ाएं। इस दिन प्रसाद के तौर पर देवी को 2 सेब का भोग लगाया जाता है।

तृतीया

तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा को दूध या दूध से बनी चीजें अर्पित करनी चाहिए। गुड़ और लाल सेब भी मैय्या को बहुत पसंद है। ऐसा करने से सभी बुरी शक्तियां दूर भाग जाती हैं। देवी चंद्रघंटा को 3 केले भी अर्पण करें।

चतुर्थी

चौथे दिन माता के चौथे स्वरूप यानि इस दिन देवी कुष्मांडा की पूजा होती है। इनकी उपासना करने से जटिल से जटिल रोगों से मुक्ति मिलती है और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस दिन माता को मालपुए का भोग लगाते हैं। चौथे दिन देवी कुष्मांडा को 4 नाशपाती का भोग लगाया जाता है।

पंचम

नवरात्र के पांचवे दिन देवी स्कंदमाता की की गई पूजा से भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है। नवरात्र के पांचवे दिन देवी को लगाएं केले का भोग या फिर इसे प्रसाद के रूप में दान करें। इस दिन बुद्धि में वृद्धि के लिए माता को मंत्रों के साथ छह इलायची भी चढ़ाएं। फल में देवी स्कंदमाता को अंगूर के 5 गुच्छे चढ़ाएं।

षष्‍ठी

छ्ठे दिन देवी कात्यायनी की आराधना से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शहद का भोग लगाकर मां कात्यायनी को प्रसन्न किया जाता है। कात्यायनी माता को फल में 6 अमरूद भी अर्पित कर उन्हें प्रसन्न करें।

सप्‍तमी

नवरात्र के सांतवे दिन कालरात्रि की पूजा की जाती है। भूत-प्रेतों से मुक्ति दिलवाने वाली देवी कालरात्रि की उपासना करने से सभी दुख दूर होते हैं। माता को लगाएं गुड़ के नैवेद्य का भोग। नवरात्र के सांतवे दिन 7 चीकू का प्रसाद लगाएं।

अष्‍टमी

नवरात्र के आंठवें दिन महागौरी के स्वरूप का वंदन किया जाता है। इस दिन देवी को नारियल प्रसाद चढ़ाने से घर में सुख-समृद्धि आती है। महागौरी की पूजा करने के बाद पूरी, हलवा और चना कन्याओं को खिलाना शुभ माना जाता है। महागौरी को फल में शरीफा का प्रसाद चढ़ाएं। इनकी पूजा से संतान संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

नवमी

नवरात्र के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री को जगत को संचालित करने वाली देवी कहा जाता है। इस दिन माता को हलवा, पूरी, चना, खीर, पुए आदि का भोग लगाएं। नवरात्र के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री को 9 संतरे का प्रसाद लगाना शुभ माना जाता है।  


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