बीमारी नहीं, न्यूसेंस फैला रही भिनभिनाती मच्छरों की फौज
- सर्दी में सुप्त पड़े रहे लार्वा से तैयार हो रहे मछर मछरों की तीन प्रजातियां कर रही परेशान
आगरा, जागरण संवाददाता। कान के पास भिनभिनाने वाले मच्छर बीमारी कम परेशान ज्यादा कर रहे हैं। इनका न्यूसेंस शहर ही नहीं बल्कि देहात क्षेत्रों में भी जबरदस्त है। शाम को हल्की ठंडक होते ही ये मच्छर घर के बाहर बैठने नहीं देते।
सर्दी में तीन महीने तक लार्वा सुप्त अवस्था में रहता है। तापमान 20 डिग्री से ऊपर पहुंचने पर लार्वा से एडल्ट मच्छर बनने लगते हैं। यही वजह है कि इस समय अचानक से मच्छरों की संख्या बेतहाशा बढ़ गई है। इनमें भी मादा मच्छर ही काटते हैं, उन्हें अंडे देने के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है, जो उन्हें खून से मिल जाता है। नर मच्छर शरीर के आसपास उड़ते रहते हैं। इनके पंखों की भिनभिनाने की आवाज परेशान करती रहती है।
डांस से लेकर पतंके के आकार के हैं मच्छर
मच्छरों की 200 प्रजातियां हैं। इसमें से यहां इस मौसम में एनाफिलीज (मलेरिया फैलाने वाला मच्छर) ज्यादा है। इसे आम बोलचाल में डांस भी कहते हैं। यह बड़े आकार का काले रंग का मच्छर होता है। क्यूलेक्स मच्छर सामान्य और एडीज मच्छर का आकार छोटा होता है। यह साफ पानी में पनपता है और पतंगेकी तरह दिखाई देता है।
कॉइल नहीं कर रही काम, मच्छरदानी करें इस्तेमाल
मच्छरों को भगाने के लिए अंधाधुंध कॉइल और मास्क्यूटो मैट का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे वे रजिस्टेंट हो गए हैं और कॉइल जलाने पर भी नहीं भाग रहे। ऐसे में मच्छरदानी सबसे अच्छा विकल्प है। इसमें भी केमिकल वाली मच्छरदानी बाजार में उपलब्ध है। मच्छर इसके पास भी नहीं फटकते।
काटने से एलर्जी और शरीर पर दाने
मच्छरों के काटने से शरीर पर दाने निकलने के साथ एलर्जी हो रही है। इस तरह के केस तेजी से बढ़ने लगे हैं।
इस तरह बढ़ रही मच्छरों की संख्या
मादा मच्छर 100 से 150 अंडे दे रही है। पूरे जीवन काल में तीन बार अंडे देती है।
- एनाफिलीज गंदे पानी में और मादा एडीज एजिप्टी एक से दो एमएल साफ पानी में अंडे देती है। चाय के गिलास में पानी हो तो वहां भी अंडे दे देती है।
- अंडा चार से छह दिन में लार्वा, इसके बाद प्यूपा और 15 से 16 दिन में एडल्ट जाता है।
- मच्छर 22 से 28 दिन तक जिंदा रहता है। 24 से 32 डिग्री तापमान इनके लिए अनुकूल है।
सर्दी में लार्वा पड़े रहते हैं। तापमान 20 डिग्री से ऊपर पहुंचते ही लार्वा सक्रिय होकर एडल्ट बन जाते हैं। इसलिए मच्छरों की संख्या अधिक है। ये न्यूसेंस फैलाते हैं बीमारी नहीं।
डॉ. गिरीश माहेश्वरी, कीट विज्ञानी व जीव विज्ञान विभाग के विभागाध्क्ष सेंट जोंस कॉलेज
इस साल अभी तक डेंगू का एक ही मरीज आया है। वह भी बाहर का है। मलेरिया के तीन मरीज आए हैं। इस मौसम के मच्छर अधिक परेशान करते हैं लेकिन बीमारी नहीं फैलाते।
आरके दीक्षित, जिला मलेरिया अधिकारी