आगरा की अधिवक्ता की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस, जानिए वजह
अधूरी सरकारी वेबसाइटों पर केंद्र सरकार को नोटिस। सुप्रीम कोर्ट में आगरा के अधिवक्ता ने दायर की है याचिका। मामले में अगली सुनवाई को 11 मार्च की तिथि तय की गई। याचिका में सूचना आयोगों द्वारा वर्चुअल सुनवाई की मांग की गई है।
आगरा, जागरण संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी वेबसाइटों पर अधूरी सूचनाओं के मामले में केंद्र सरकार व 28 राज्य सरकारों को नोटिस जारी किए हैं। आगरा के अधिवक्ता केसी जैन की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और एमएम सुंदरेश द्वारा शुक्रवार को यह नोटिस जारी किए गए। मामले में अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी।
अधिवक्ता केसी जैन ने वर्चुअल सुनवाई के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी बात रखते हुए कहा कि सूचना अधिकार अधिनियम की धारा-4 के अनुसार सभी लोक प्राधिकारियों द्वारा अधिक से अधिक सूचनाएं अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जानी हैं। इसका उद्देश्य यह है कि सूचनाएं प्राप्त करने को किसी व्यक्ति को अावेदन करने की आवश्यकता कम से कम रहे। केंद्रीय सूचना आयोग की वर्ष 2018-19 व 2019-20 की रिपोर्ट के अनुसार वेबसाइटों पर सभी सूचनाएं देने के मामले में अधिकांश लोक प्राधिकारी बहुत पिछड़े हुए हैं। केंद्र सरकार द्वारा अधिनियम की धारा-23 के तहत आदेश जारी किया गया था कि प्रत्येक लोक प्राधिकारी अधिक से अधिक सूचनाएं वेबसाइट पर उपलब्ध कराए और थर्ड पार्टी आडिट भी कराए। इसके बावजूद दो-तिहाई केंद्रीय लोक प्राधिकारियों ने आडिट नहीं कराया। जिन्होंने आडिट कराया, उनका ग्रेड बहुत निम्न आया। जैन ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट याचिका को स्वीकार कर लेता है तो सूचना अधिकार अधिनियम कहीं अधिक कारगर सिद्ध होगा।
केसी जैन सूचना अधिकार अधिनियम के संबंध में इससे पूर्व भी चार याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर कर चुके हैं, जिनमें से दो याचिकाएं वर्ष 2018 में स्वीकार हुई थीं। जिसके बाद विधानसभा एवं विधान परिषद द्वारा सूचना अावेदन पत्र का निर्धारित शुल्क 500 रुपये से घटाकर 50 रुपये कर दिया गया था। एक याचिका देश के सभी उच्च न्यायालयों व उनके अधीनस्थ न्यायालयों में आनलाइन आवेदन पत्र व आनलाइन अपील की सुविधा की मांग से जुड़ी है। एक अन्य याचिका में सूचना आयोगों द्वारा वर्चुअल सुनवाई की मांग की गई है, जिसमें 20 अप्रैल, 2021 को नोटिस जारी किए गए थे।