Shelter Homes: सरकारी गोशालाओं का ये है हाल, सर्दी में ठिठुरने को मजबूर गोवंश
गोशाला और नंदीशाला में नहीं है गोवंश के लिए सर्दी से बचाव के पर्याप्त इंतजाम। गोवंश को सर्दी से बचाने के लिए हर साल नवंबर में टीनशेड पर पर्दे डाल दिए जाते हैं जिससे कि उन्हें ठंडी हवाओं और ओस से बचाया जा सके।
आगरा, जागरण संवाददाता। नवंबर भी बीतने को है। दिन में भले ही न लेकिन रात में सर्दी अहसास कराने लगी है। लोगों ने गर्म कपड़े निकाल लिए हैं। रात में भी कंबल-रजाइयां निकल आई हैं मगर, गोवंश के लिए सर्दी से बचने के अब तक कोई बंदोबस्त नहीं हैं। गोशालाओं और नंदीशालाओं के टीनशेड पर न तो अब तक पर्दे लगे हैं और न ही अलाव की व्यवस्था हो सकी है।
गोवंश को सर्दी से बचाने के लिए हर साल नवंबर में टीनशेड पर पर्दे डाल दिए जाते हैं, जिससे कि उन्हें ठंडी हवाओं और ओस से बचाया जा सके। अब तक किसी भी गोशाला में पर्दे का बंदोबस्त नहीं हो सका है। हालांकि गो और नंदीशालाओं में इतने टीनशेड भी नहीं हैं कि सभी गोवंश इसमें आश्रय ले सकें। बहुत सी गाय और नंदियों को खुले ही में रहना पड़ता है। अलाव के लिए भी अब तक लकड़ी का इंतजाम नहीं हुआ है। नंदियों के लिए बांईपुर में बड़ी नंदीशाला बनाई गई है। यहां छोटे और बड़े नंदियों को अलग-अलग रखने की व्यवस्था की गई है। ताकि बलशाली नंदी, छोटे नंदियों के बीच झगड़ा न हो। पूर्व में कई छोटे नंदी घायल हो चुके हैं। उन्हें गंभीर चोट अा चुकी हैं। इसी से बचाने के लिए उन्हें अलग-अलग किया गया है। गोशालाओं में सभी गायों को एक साथा रखा जाता है।
18 गोवंश संरक्षण केंद्र हैं जिले में
5300 गोवंश हैं सभी केंद्रों पर
1200 नंदी हैं नंदीशालाओं में