बस रिपोर्ट...और यमुना मिशन के मामले में प्रशासन चुप, जानिए क्या है मामला
एफआइआर दर्ज कराने के बाद प्रशासन की तरफ से नहीं उठा कदम। यमुना मिशन की गतिविधियां तलहटी में अब भी धीमी गति से जारी।
आगरा, योगेश जादौन। यमुना में अतिक्रमण को मानते हुए सिंचाई विभाग ने यमुना मिशन के खिलाफ एफआइआर तो करा दी है लेकिन अपनी ही जमीन से वह अतिक्रमण हटाने की दिशा में चुप्पी साधे हुए है। मिशन की ओर से यहां किए गए निर्माण को भी नहीं हटाया जा सका है। यही हाल प्रदूषण नियंत्रण विभाग का है। प्रशासन ने भी महज कार्रवाई की औपचारिकता कर चुप्पी साध ली है।
एक गैरसरकारी संगठन यमुना मिशन ने पर्यावरण बचाने और यमुना की बेहतरी का नारा देकर यमुना के पश्चिम इलाके में धु्रव घाट से लेकर मोक्षघाट तक कई किलोमीटर में धारा के समानांतर पाथवे बना दिया। कंसटीला से लेकर आगे करीब आठ किलोमीटर तक यह पाथवे कई जगह पर करीब 80 फीट चौड़ा है। इसे तारों से कवर कर जगह-जगह घाट और अन्य निर्माण भी किए गए। इस मामले को 'जागरण' ने अक्टूबर में उठाया। यमुना मिशन की मनमानी की परतें खुलती गईं। इस मामले में घाट किनारे की जनता के लामबंद होने पर दबाव में आए प्रशासन ने सिंचाई विभाग, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एसडीएम के नेतृत्व में एक टीम गठित की। इस टीम ने यमुना किनारे जाकर हालात का जायजा लिया। टीम ने यमुना में खनन, बिना अनुमति के निर्माण करने, सिंचाई विभाग की जमीन पर अतिक्रमण और नाले के जरिए आ रही पॉलीथिन आदि गंदगी को यमुना की तलहटी में भरने पर अपनी रिपोर्ट दी। इसके बाद भी कई दिन तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। दबाव बढ़ा तो सिंचाई विभाग की ओर से गोविंदनगर थाने में यमुना मिशन के कर्ताधर्ता प्रदीप बंसल और अनिल शर्मा के खिलाफ यमुना में अतिक्रमण करने और बिना अनुमति काम करने की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज करा दी गई। इसके बाद प्रशासन फिर लंबी तानकर सो गया। इस रिपोर्ट पर आज तक न तो कोई बयान लिए गए हैं और न ही आइओ ने घटनास्थल पर जाकर जायजा लिया है।
'इस मामले में सिंचाई विभाग से साक्ष्य मांगे गए हैं। साक्ष्य उपलब्ध होने के बाद ही बयान लिए जाएंगे और जांच की प्रक्रिया आगे बढ़ पाएगी। अभी इस मामले में कुछ नहीं किया गया है'।
-बैजनाथ सिंह, थानाध्यक्ष गोविंदनगर
'विभाग को साक्ष्य देने के लिए पुलिस की तरफ से कोई पत्र नहीं मिला है। दूसरी बात यह है कि जो कुछ सामने पड़ा है, उसके लिए साक्ष्य की क्या जरूरत है। आइओ को मौके पर जाकर खुद ही देख लेना चाहिए'।
- एमएम सिंह, एक्सईएन सिंचाई विभाग
'उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोई कार्रवाई नहीं की है। मिशन को इस मामले में एक नोटिस दिया गया था। इसका उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। अभी कोई कार्रवाई नहीं की है'।
- अरविंद कुमार, क्षेत्रीय अधिकारी, उप्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड