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CBSE Board Result 2021: सीबीएसई की परिणाम सारणीकरण नीति को चुनौती, उठ रही ये मांग

CBSE Board Result 2021 संक्रमण के हालत में कैसे आएंगे शिक्षक रहेगी संक्रमित होने की आशंका। केंद्र सरकार से की नीति पर दोबारा विचार करने की मांग। नीसा ने राष्ट्रपति प्रधानमंत्री गृहमंत्री शिक्षा मंत्री स्वास्थ्य मंत्री से पुनर्विचार करने की मांग की है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Mon, 17 May 2021 12:29 PM (IST)Updated: Mon, 17 May 2021 12:29 PM (IST)
CBSE Board Result 2021: सीबीएसई की परिणाम सारणीकरण नीति को चुनौती, उठ रही ये मांग
नीसा ने केंद्र सरकार से की नीति पर दोबारा विचार करने की मांग।

आगरा, जागरण संवाददाता। नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल एलायंस (नीसा) ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 10वीं की बोर्ड परीक्षा 2021 की अंक सारणीकरण प्रणाली पर सवाल उठाए हैं। नीसा ने इस अंक सारणीकरण प्रणाली को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और देशभर में सीबीएसई के विद्यार्थियों को न्याय देने की मांग कर हस्तक्षेप की गुहार लगाई है।

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नीसा के रीजनल कन्वीनर व एसोसिएशन आफ प्रोग्रेसिव स्कूल्स आफ आगरा (अप्सा) अध्यक्ष डा. सुशील गुप्ता ने बताया कि अंक सारणीकरण प्रणाली में अंकों की अनाधिकृत वृद्धि से बचने के लिए बोर्ड ने प्रत्येक स्कूल को उसके अनिवार्य औसत फीसद के करीब ही अंक देने की अपील की है। जबकि ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के स्कूलों के प्रदर्शन में असमानता पर विचार नहीं किया। इससे अधिकांश स्कूलों का अंतिम स्कोर अपेक्षित स्कोर से काफी नीचे हो रहा है। ऐसा लगता है कि बोर्ड को स्कूलों पर विश्वास नहीं है, बोर्ड संभावित मुद्दों से अनभिज्ञ है, क्योंकि स्कूल पहले ही अधिकांश आंतरिक अंक अभिभावकों से साझा कर चुके हैं। इस प्रक्रिया से विद्यार्थियों में निराशा तो आएगी और स्कूल भी अभिभावकों को समझाने में असमर्थ होंगे कि उनके बच्चों के अंक कम कैसे हो गए? इस कारण अभिभावक कोर्ट का रुख भी कर सकते हैं। इसके लिए नीसा ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, शिक्षा मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री से सीबीएसई 10वीं की बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम सारणीकरण नीति पर पुनर्विचार करने की मांग की है।

संक्रमण काल में मूल्यांकन जोखिम भरा

बोर्ड की यह नीति शिक्षकों को जोखिम में डालेगी। चार मई को नीसा ने सीबीएसई अध्यक्ष को पत्र लिखकर नीति पर पुनर्विचार की मांग की। उनका तर्क है कि बोर्ड का यह निर्णय स्वास्थ्य संकट काल में तर्कसंगत तो है, लेकिन मानवीय नहीं। मूल्यांकन के लिए स्कूलों में शिक्षकों व सहायक कर्मचारियों को बुलाने का निर्णय जोखिम भरा है। हालात भयंकर में हजारों शिक्षक संक्रमित हो चुके हैं, कई अपना जीवन भी खो चुके हैं। मूल्यांकन कार्य में शिक्षकों, सहायक कर्मचारियों व तकनीकी कर्मचारियों की जरूरत होगी, लेकिन परिवहन उपलब्धता ना होने से स्कूलों को परेशानी होगी। 


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