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न ढोल और न समर्थक, चेहरे पर मास्क और सैनिटाइजर, बदल गया चुनाव का नजारा

कलक्ट्रेट में पूर्व के चुनावों की अपेक्षा पूरी तरह बदला हुआ है नजारा। कोरोना वायरस के संक्रमण और गाइडलाइन ने बदले दिए है हालात। प्रत्‍याशियों के मन में भी है आशंका। चुनाव से पहले कहीं लग न जाएं संक्रमण इसलिए बरत रहे हैं पूरी एहतियात।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 09:40 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 09:40 AM (IST)
न ढोल और न समर्थक, चेहरे पर मास्क और सैनिटाइजर, बदल गया चुनाव का नजारा
कलक्ट्रेट में अकेले ही नामांकन पत्र लेने जाते आगरा छावनी से सपा रालोद गठबंधन प्रत्याशी कुंवर चंद वकील। जागरण

आगरा, जागरण संवाददाता। न ढोल और न समर्थक, चेहरे पर मास्क और हाथों में सैनिटाइजर। कलक्ट्रेट के गेट के बाहर तैनात पुलिसफोर्स। चुपचाप नामांकन के लिए आते प्रत्याशी। किसी के साथ दो कार्यकर्ता तो किसी के साथ एक। कोरोना वायरस के संक्रमण और गाइडलाइन के चलते हालात पूरी तरह बदले नजर आए। प्रत्याशियों के गले में पड़ी फूलमालाएं ही उप्र विधानसभा चुनाव का नामांकन शुरू होने की कहानी बयां कर रही थीं।

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कोरोना वायरस के संक्रमण ने दुनिया को बदलकर रख दिया है। दूसरी लहर में हुई भयावह स्थिति के मंजर लोगों की आंखों में अब भी जिंदा हैं। आक्सीजन को लंबी लाइनों से लेकर प्रियजनों की अंतिम विदाई तक लोगों को कतार में लगना पड़ा था। तीसरी लहर के बीच उप्र में विधानसभा चुनाव हो रहा है। आगरा में पहले चरण में 10 मार्च को होने वाले मतदान के लिए कलक्ट्रेट में नामांकन प्रक्रिया चल रही है। यूं तो नामांकन प्रक्रिया की शुरुआत शुक्रवार को हो गई थी, लेकिन शुक्रवार व शनिवार को किसी ने नामांकन नहीं किया। शुभ मुहूर्त दिखवाने के बाद प्रत्याशी सोमवार को नामांकन करने पहुंचे। विगत के चुनावों की अपेक्षा माहौल पूरी तरह जुदा नजर आया। पहले कलक्ट्रेट के गेट के बाहर ही प्रत्याशी के समर्थक अंदर प्रवेश को दिनभर जिद्दोजेहद करते नजर आते थे। प्रवेश न मिलने पर हंगामा करते थे। इस बार मुस्तैद पुलिसकर्मी और माहौल में पसरी शांति के अलावा कुछ नहीं था। प्रत्याशी अपने एक या दो समर्थक के साथ बिना किसी शोर-शराबे के पहुंचे और चुपचाप अंदर प्रवेश किया। उनके चेहरे पर मास्क के साथ हाथों व जेब में सैनिटाइजर की बोतलें नजर आईं। कलक्ट्रेट के बाहर रहने वाला जाम भी नहीं था।

कलक्ट्रेट के अंदर दो जगह पुलिस ने बैरियर तो बना रखे थे, लेकिन उनके इस्तेमाल की जरूरत ही नहीं पड़ी। पूर्व में इन बैरियरों पर भी नामांकन प्रक्रिया के दौरान दिनभर गहमागहमी हुआ करती थी। कोरोना के चलते बदले माहौल में शांतिपूर्ण ढंग से आए प्रत्याशी, शांतिपूर्ण तरीके से ही वापस लौट गए। 


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