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अच्‍छी है ये खबर, अब रोशनी में कुसुम सरोवर का कर सकेंगे दीदार Agra News

एमवीडीए ने तैयार की पांच करोड़ की योजना होगा सुंदरीकरण।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 12:48 PM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2019 10:58 PM (IST)
अच्‍छी है ये खबर, अब रोशनी में कुसुम सरोवर का कर सकेंगे दीदार Agra News
अच्‍छी है ये खबर, अब रोशनी में कुसुम सरोवर का कर सकेंगे दीदार Agra News

आगरा, रसिक शर्मा। पर्वतराज गोवर्धन की भूमि ऐतिहासिक विरासतों को अपने गर्भ में समेटे है। धर्म, कला और विरासत के इस अदभुत दर्शन से देश और दुनिया के लोग इसलिए वंचित रह जाते हैं, क्योंकि अधिकतर लोग रात में गिरिराजजी की परिक्रमा करने आते हैं। अंधेरे के आगोश में ये सौंदर्य गुम हो जाता है।

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मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण ने इसके लिए पांच करोड़ की योजना तैयार की है। इसका प्रजेंटेशन भी पर्यटन निदेशालय में हो गया है। सब कुछ ठीकठाक रहा तो जल्द ही कला और धर्म का बेजोड़ संगम कुसुम सरोवर लाइट एंड साउंड सिस्टम के साथ पहली बार रात में भी अपनी खूबसूरती का दीदार कराएगा।

गोवर्धन-राधाकुंड के बीच बना कुसुम सरोवर को महाराज जवाहर सिंह ने अपने पिता सूरजमल की स्मृति में बनवाया था। 1675 से पहले यह कच्चा कुंड था, जिसे ओरछा के राजा वीर सिंह ने पक्का कराया। उसके बाद राजा सूरजमल ने अपनी रानी किशोरी के लिए इसका हरित श्रृंगार कर बगीचे का रूप दिया और इसे अधिक सुंदर और मनोरम स्थल बना दिया।

बाद में जवाहर सिंह ने इसे अपने माता- पिता के स्मारक का रूप दे दिया। राजा के स्मारक के बगल में दोनों ओर कुछ छोटे आकार में उनकी रानियों, हंसिया और किशोरी की छतरियां बनी हैं। छतरियों के पीछे बाग है, जिसे गुलाब बाग के नाम से जाना जाता है। हालांकि यहां गुलाब की जगह सिर्फ कांटे लगे हैं। इमारत के सामने खूबसूरत कुसुम सरोवर है। परिक्रमा मार्ग स्थित यह खूबसूरत विरासत सरकार के संरक्षण में है। विकास प्राधिकरण के अधिशासी अभियंता धीरेंद्र बाजपेयी ने बताया कि रात में परिक्रमा करने वाले श्रद्धालु कुसुम सरोवर की खूबसूरती का दीदार करें। इसके लिए पांच करोड़ की लागत से लाइट एंड साउंड सिस्टम सहित सुंदरीकरण कार्य होगा। पर्यटन निदेशालय में इसका प्रजेंटेशन हो गया है। उम्मीद है जल्द ही प्रस्ताव पर मुहर लग जाएगी और काम शुरू हो जाएगा। खूबसूरती के साथ श्रद्धालु इसका इतिहास भी जान सकेंगे। मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने यहां राधारानी की चोटी गूंथी थी और फूलों से श्रृंगार किया था।

गुलाब बाग के दामन में बबूल

कुसुम सरोवर के पीछे तीन एकड़ में बना गुलाब बाग राधा-कृष्ण की बाल लीलाओं का साक्षी है। यहां युगल स्वरूप के लिए गुलाब की कलियां मुस्कराती थीं। परंतु वक्त के बदलते परिदृश्य ने इस बाग के दामन को बबूल के कांटों से भर दिया है।


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