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महंगाई की आग में खौल रहा सरसों का तेल

राजस्थान व हरियाणा से मंडी में कम हो रही आवक रसोई का बजट गड़बड़ाया

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Sep 2021 11:30 PM (IST)Updated: Mon, 13 Sep 2021 11:30 PM (IST)
महंगाई की आग में खौल रहा सरसों का तेल
महंगाई की आग में खौल रहा सरसों का तेल

आगरा,जागरण संवाददाता। कालाबाजारी पर केंद्र सरकार की सख्ती के बाद भी सरसों का तेल महंगाई की आग में खौल रहा है। पिछले एक महीने में तेल के दाम प्रति लीटर 25 से 30 रुपये से बढ़ गए हैं, जिस कारण रसोई का बजट गड़बड़ा गया है। राजस्थान व हरियाणा से आगरा की मंडियों मे सरसों की आवक भी कम हो रही है, जिस कारण सरसों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं।

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आगरा आयल मिल के प्रबंध निदेशक कुमार कृष्ण गोपाल, कारोबारी ब्रजमोहन अग्रवाल व दिनेश गोयल के अनुसार 15 जून को सरसों के तेल के दाम थोक में 145 रुपये प्रति लीटर रहे, लेकिन मंडी में मांग के सापेक्ष सरसों की आवक कम होने के कारण तेल के दाम बढ़ने लगे। 13 अगस्त को सरसों के तेल का दाम थोक में 152 से 155 रुपये प्रति लीटर था, जो 13 सितंबर यानी सोमवार को 182 से 187 रुपये प्रति लीटर रहा। रिटेल बाजार में यह भाव 200 रुपये प्रति लीटर तक है। उन्होंने बताया कि आगरा में सरसों की दो बड़ी मंडी खेरागढ़ में कागारौल रोड व किरावली मंडी हैं। इन मंडियों में सोमवार को सरसों 9900 रुपये प्रति कुंतल तक बिकी। कागारौल मंडी के सचिव वीरेन्द्र सिंह के अनुसार सोमवार को मात्र 5 टन सरसों की आवक हुई तो अगस्त में सामान्यत: प्रतिदिन 10 से 17 टन रोज रही है। कमोवेश यही हाल किरावली मंडी का भी है।

आगरा बड़ी मंडी लेकिन जमाखोरी पर विराम नहीं : सरसों के तेल उत्पादन में आगरा देश में अग्रणी है। आगरा में 66 हजार हेक्टेयर में सरसों का उत्पादन होता है पर मांग अधिक होने के कारण यहां की प्रमुख मंडी खेरागढ़ व किरावली मंडी में हरियाणा व राजस्थान से बड़ी मात्रा में सरसों की आवक होती है। रोज करीब 500 टन सरसों का तेल उत्पादन करने वाली आगरा आयल मिल, बीपी आयल मिल, शारदा आयल मिल व महेश आयल मिल सीधे हरियाणा व राजस्थान मंडी से सरसों क्रय करते हैं। जनपद में छह और आयल मिल के अलावा 200 से अधिक एक्सपेलर हैं, जिनके द्वारा रोज करीब 100 टन तेल का उत्पादन किया जाता है। खेरागढ़ मंडी व किरावली मंडी में रोज करीब दो हजार कुंतल सरसों की आवक होती है। इस कारोबार से जुड़े लोगों के अनुसार तो खेरागढ़ मंडी व किरावली मंडी के आसपास ही बड़ी मात्रा में सरसों की जमाखोरी की गई है। यह खेल इन दोनों स्थानों के साथ-साथ जिले में एक दर्जन स्थानों पर और चल रहा है। ऐसे ही खेल सरसों के तेल में हैं। सरसों खरीदने का क्रय केंद्र नहीं है। किरावली में सरसों की लैब में जांच होती है। तेल के आधार पर उस सरसों के दाम निर्धारित होते हैं।

ऐसे चल रहा खेल

कारोबारियों के अनुसार मंडियों में 9,900 से लेकर 10,000 रुपये कुंतल के हिसाब से सरसों की फसल बिक रही है। इस पर छह प्रतिशत जीएसटी और एक प्रतिशत मंडी शुल्क अलग से लगता है। अगर एक कुंतल सरसों की फसल का तेल निकाला जाए तो 33 किलो तेल निकलता है। दो किलो खल जल जाती है। ऐसे में 65 किलो खल बचती है। थोक के रेट में 182 रुपये किलो तेल बिक रहा है। इस हिसाब से 33 किलो तेल की कीमत 6,006 रुपये बनती है। वहीं 65 किलो खल 30 रुपये किलो के हिसाब से 1,950 रुपये का बिक रहा है। पेराई 250 रुपये कुंतल है, जबकि लोडिग- अनलोडिग में पांच रुपये किलो का चार्ज लग जाता है। ट्रांसपोर्ट का खर्च अलग से है। यही वजह है कि बाजार में सरसों का तेल महंगा बिक रहा है।

पहले रसोई गैस और अब सरसों के तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते घर का बजट गड़बड़ा गया है। महंगाई से दिक्कतें बढ़ती ही जा रही हैं। ऐसे में घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया है।

-रुचि गोयल कमला नगर पहले एलपीजी गैस के दाम बढ़ने से घर का बजट बिगड़ गया है। अब सरसों के तेल व अन्य चीजों के दाम में बढ़ोतरी से घर के खर्च में कटौती करनी पड़ रही है।

- ऋचा वाष्र्णेय, आवास विकास कोरोना काल में पहले ही महंगाई ने कमर तोड़कर रख दी है। लगातार घरेलू चीजों के दाम में बढ़ोतरी हो रही है पर सरकार इन पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है।

भव्या वाष्र्णेय, बोदला पहले रसोई गैस और अब सरसों के तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते घर का बजट गड़बड़ा गया है। महंगाई से दिक्कतें बढ़ती ही जा रही हैं। सरकार को इन वस्तुओं के दाम पर नियंत्रण करना चाहिए

- अंजलि जैन, बल्केश्वर


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