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मडपैक थैैरेपी: ताजमहल के बाद अब आगरा किला में आएगा निखार, 447 वर्षों बाद चमकेगा ये हिस्‍सा Agra News

किले के दीवान-ए-आम में पहली बार होगा मडपैक। शहंशाह के बैठने के स्थान पर संगमरमर की होगी सफाई। 1565 से 1573 तक अकबर ने बनाया था आगरा किला।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Thu, 12 Mar 2020 01:07 PM (IST)Updated: Fri, 13 Mar 2020 09:02 AM (IST)
मडपैक थैैरेपी: ताजमहल के बाद अब आगरा किला में आएगा निखार, 447 वर्षों बाद चमकेगा ये हिस्‍सा Agra News
मडपैक थैैरेपी: ताजमहल के बाद अब आगरा किला में आएगा निखार, 447 वर्षों बाद चमकेगा ये हिस्‍सा Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की रसायन शाखा अब ताजमहल के साथ ही आगरा किला में भी मडपैक ट्रीटमेंट कर रही है। करीब 447 वर्षों में पहली बार दीवान-ए-आम में मडपैक किया जाएगा। दीवान-ए-आम में शहंशाह के बैठने के स्थान की सफाई मडपैक ट्रीटमेंट से करना शुरू किया गया है।

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मुगल शहंशाह अकबर ने आगरा किले का निर्माण वर्ष 1565 से 1573 के मध्य कराया था। आगरा किला में दीवान-ए-आम बना हुआ है। मुगल काल में यहां शहंशाह का दरबार लगा करता था और वो आम लोगों से मिला करता था। यहां शहंशाह जिस जगह पर बैठा करता थो वो काफी अलंकृत हैं। यहां दीवारों, फर्श और सीलिंग पर संगमरमर लगा हुआ है। इसमें पच्चीकारी का दर्शनीय काम हो रहा है। यहां का संगमरमर पीला पड़ चुका है। इसे मडपैक कर साफ करने का काम एएसआइ की रसायन शाखा द्वारा शुरू किया गया है। इसकी शुरुआत अंदर की तरफ से की गई है। शीघ्र ही पूरे हिस्से को मडपैक ट्रीटमेंट कर साफ किया जाएगा। संगमरमर को जहां मडपैक ट्रीटमेंट कर साफ किया जाएगा, वहीं रेड सैंड स्टोन पर केमिकल प्रिजर्वेशन का काम किया जाएगा। आगरा किला में इससे पूर्व मोती मस्जिद, नगीना मस्जिद, मुसम्मन बुर्ज आदि जगहों को मडपैक कर साफ किया जा चुका है।

बादलगढ़ के किले के नाम से जाना जाता था

एएसआइ के रिकॉर्ड के अनुसार आगरा किला 1475 ईस्वी में बादल सिंह द्वारा बनवाया गया बादलगढ़ किला था। इसे चौहान राजाओं द्वारा निर्मित किला भी कहते हैं। इसे महमूद गजनवी ने अपने अधीन किया था। इसी अवशेष पर सिकंदर लोदी (1489-1517) ने पठानों का किला बनवाया। इब्राहीम लोदी (1517-26) के अधिकार में यह किला रहा। वर्ष 1530 में हुमायूं का राज्याभिषेक इसी किले में हुआ था।

मडपैक ट्रीटमेंट

मडपैक ट्रीटमेंट में एएसआइ की रसायन शाखा द्वारा संगमरमर पर मुल्तानी मिट्टी का लेप किया जाता है। उसे सूखने दिया जाता है। यह संगमरमर पर जमा धूल कण, चिकनाई आदि को सोख लेता है। बाद में इसे डिस्टिल वाटर से धोकर साफ कर दिया जाता है।  


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