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नए कृषि कानूनों के लाभ गिनाएंगे सांसद चाहर, आज अलीगढ़ तो 18 को आगरा में होगा किसान सम्मेलन

बांदा मेंं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह किसानों का करेंगेे भ्रम दूर। विपक्ष के प्रहार को हल्का करने और कृषि कानून का लाभ गिनाने में जुटी भाजपा। आगरा मंडल के किसानों को किया जा रहा है समझाने का प्रयास।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 16 Dec 2020 11:08 AM (IST)Updated: Wed, 16 Dec 2020 11:08 AM (IST)
नए कृषि कानूनों के लाभ गिनाएंगे सांसद चाहर, आज अलीगढ़ तो 18 को आगरा में होगा किसान सम्मेलन
भाजपा किसान मोर्चा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष व सांसद राजकुमार चाहर किसान सम्‍मेलन कर रहे हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। नए कृषि कानूनों पर किसानों का भ्रम दूर करने में भाजपा जुट गई है। सूबे में अलग-अलग स्थानों पर आज भाजपा के दिग्गज किसानों को किसान सम्मेलन के माध्यम से नए कानूनों के लाभ गिनाने और उनको ये बताने पहुंचेगा कि उनके हित में बनाया गया है। बुधवार को बांदा में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, अलीगढ़ में किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सांसद राजकुमार चाहर किसानों का भ्रम दूर करेंगे तो 18 दिसंबर को आगरा में प्रस्तावित सम्मेलन में कैबिनेट मंत्री मोती सिंह मौजूद रहेंगे।

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नए कृषि कानूनों को किसान काले कानून बता सड़कों पर विरोध जता रहे हैं, तो विपक्ष ने आंदोलन को पूरा समर्थन दे रखा है। भाजपा का आरोप है कि किसानों को गुमराह किया जा रहा है, जबकि नए कानून उनके हित में हैं। सपा, कांग्रेस, आप, रालोद के प्रहार को हल्का करने के लिए भाजपा ने रास्ता निकाल लिया है। वे किसानाें के पास जाकर सम्मेलन, चौपल और दूसरे माध्यमों से उनको समझाएगी, जिससे किसान ठिठुरन भरी ठंड में सड़कों से अपने घर वापस लौट जाए। आगरा में प्रस्तावित सम्मेलन में मुख्य वक्ता के रूप में कैबिनेट मंत्री मोती सिंह को जिम्मेदारी दी गई है। प्रदेश महामंत्री एवं ब्रजक्षेत्र प्रभारी गोविंद नारायण शुक्ला ने बताया कि बांदा, अलीगढ़ में 16 और आगरा में 18 दिसंबर को सम्मेलन होगा।

किसान आंदोलन को कुंद करने की रणनीति

पंजाब और हरियाणा के साथ देने पहुंचे उत्‍तर प्रदेश और मध्‍यप्रदेश के किसानों को अलग करने की रणनीति के तौर पर भी भाजपा के इस कदम को देखा जा रहा है। किसानों के बीच भाजपा के पदाधिकारियों को भेजा जा रहा है। कृषि कानून की बारीकियों को समझाया जा रहा है और इससे होने वाले फायदे बताए जा रहे हैं। विरोधी दल इसे सीधे तौर पर यही ठहरा रहे हैं कि भाजपा जब घिरने लगती है तो इसी तरह के हथकंडे अपनाती है।


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