मा का सपना टूटा , छलक पड़े आसू
सेना भर्ती की दौड़ से बाहर हो गया प्रवीण 22 वर्ष उम्र होने से अंतिम मौका भी हाथ से निकला
आगरा, (जितेंद्र सिंह)।
प्रवीण को अपनी प्रवीणता पर भरोसा था कि इस बार मौका हाथ से न जाने देगा। बेटे को फौजी की वर्दी में देखने का मा का सपना भी जरूर पूरा होगा। देश सेवा की ललक और सालों की कड़ी मेहनत के दम पर सेना भर्ती के लिए दौड़ में शामिल हुआ था। एक-एक कर बैच के 31 अभ्यíथयों ने फिनिशिग प्वाइंट क्रास कर लिया, लेकिन उसका नंबर आते ही रस्सा खिंच गया। सपने क्षण भर में ढेर हो गए। आखों के आगे अंधेरा छा गया और अनायास ही आसू छलक पड़े।
आनंद इंजीनियरिंग कालेज में चल रही सेना भर्ती रैली में शामिल होने आए हाथरस के गाव नगला प्रथी निवासी प्रवीण ने बताया कि पहले ही बैच में उसकी दौड़ थी। उसने पूरा दम भी लगाया, बैच में 31 अभ्यथिर्यो का चयन हुआ। 32 वा नंबर उसका था, जिस पर रस्सा खींच कर रोक दिया गया। फिनिशिग प्वाइंट पर पहुंचकर उसे चक्कर आ गया। सेना टीम के सदस्यों से काफी मिन्नत भी की, लेकिन समय पूरा होने के कारण मना कर दिया गया। अपनी विफलता के साथ उसे मा का सपना टूटने का बेहद मलाल था। 22 वर्ष की उम्र होने से अंतिम मौका भी हाथ से निकला
प्रवीण ने बताया कि अगले माह वह 22 वर्ष का हो जाएगा, जिससे यह उसका अंतिम मौका था। कोरोना काल में भर्ती प्रक्रिया कई माह देर से शुरु हुई, उसने उम्र सीमा को और करीब ला दिया। सोचा था इस बार तो जरूर भर्ती हो जाऊंगा, लेकिन अंतिम क्षणों में मिली असफलता ताउम्र नहीं भुला पाऊंगा। किसान पिता के पास सिर्फ दो बीघा जमीन
प्रवीण ने बताया कि उसके पिता ऊदल सिंह किसान हैं। सिर्फ दो बीघा जमीन है, जिससे बमुश्किल गुजर बसर हो पाती है। पिता को भी यही आस थी कि बेटा फौज में भर्ती हो जाएगा तो उनका सीना फक्र से चौड़ा हो जाएगा । आर्थिक स्थित भी सुधरेगी। पिता ने उसकी दो बहनों की शादी जैसे-तैसे कर दी। अब उम्मीद उसी से थी, जो आज दौड़ के मैदान में दम तोड़ गई।