पालने वाली मां की ममता के आगे नतमस्तक हो गयी, जन्म देने वाली मां, जानिए क्या है मामला
निसंतान दंपती ने देवरानी की बेटी को पैदा होते ही ले लिया था गोद। पांच साल तक पालने के बाद देवरानी ने बेटी को था वापस मांगा। मां से बिछुड़ने पर बेटी ने खाना-पीना छोड़ा तो पिघल गयी जन्म देने वाली मां।
आगरा, अली अब्बास। नौ महीने तक कोख में रखकर बेटी को दुनिया में लाने वाले की मां की ममता उसे पालने वाली मां के प्यार के आगे नतमस्तक हो गयी। जन्म देने के 24 घंटे बाद ही मां ने नवजात बेटी को गोद नि:संतान जेठानी को गोद दे दिया था। पांच साल बाद बेटी को गोद लेने वाली मां के आंचल से दूर करने का ख्याल न जाने कहां से उपज गया। बेटी को उससे वापस मांग लिया। गोद लेने वाली मां ने खाना-पीना छोड़ दिया, बेटी के लिए बेहाल हो गयी। उधर, बेटी का भी यही हाल था। मां से मिलने के लिए उसने खाना-पीना छोड़ दिया। मां से मिलने की जिद में रो-रोकर पूरा घर सिर पर उठा लिया। जन्म देने वाली मां का दिल यह देख पसीज गया। बेटी की खुशी और उसके बेहतर भविष्य के लिए चौबीस घंटे बाद ही ये कहकर जेठानी की गोद में डाल आयी कि वह मेरी नहीं तुम्हारी बेटी है और हमेशा रहेगी।
मामला ताजगंज थाना क्षेत्र का है। जूता कारखाना में काम करने वाले पति-पत्नी के शादी के पांच साल तक बच्चे नहीं हुए। पति ने शहर के सभी डाक्टरों को पत्नी को दिखाया, उनका इलाज कराया। मगर, दंपती के आंगन में किलकारी नहीं गूंजी तो वह निराश हो गए। पांच साल पहले महिला की देवरानी गर्भवती हुई। उससे अपनी जेठानी का दुख नहीं देखा गया। देेवरानी के एक बेटा पहले से था। उसने जेठानी से कोख में पल रहे बच्चे को देने का वादा किया। जेठानी ने बच्चे के दुनिया में कदम रखने से पहले ही अपने हाथों से ढेर सारे कपड़े सिल डाले। देवरानी को कोई काम नहीं करने दिया, उसकी लगातार सेवा की। देवरानी ने वादे के मुताबिक जन्म देने के एक दिन बाद ही बेटी को जेठानी की गोद में डाल दिया। उसे डर था कि ज्यादा दिन तक बच्ची को अपने पास रख लिया तो उससे मोह हो जाएगा।
दंपती ने बेटी को अपना नाम देकर पालन-पोषण किया। दोनों भाइयों और जेठानी- देवरानी के बीच बेटी की दावेदारी को लेकर कभी विवाद नहीं हुआ। मासूम गोद लेने वाले दंपती मम्मी-पापा कहती है। उसका पिछले साल एक स्कूल में प्रवेश करा दिया। विवाद की स्थिति दो महीने पहने बननी शुरू हुई। देवरानी ने अपने बेटी को वापस मांग लिया। उसे पालने वाली जेठानी और बेटी दोनों ही उसके पास को तैयार नहीं थे। जेठानी ने इसे लेकर खाना-पीना छोड़ दिया। मामला ताजगंज थाने तक पहुंच गया। पुलिस ने जन्म देने वाली मां और उसे पालने वाली मां को बुलाया। इसके बाद मासूम को जन्म देने वाली मां को सौंप दिया। क्योंकि दोनों के बीच गाेदनामा की प्रकिया नहीं हुई थी।
पुलिस द्वारा जन्म देने वाली मां के हक में फैसला देेने पर उसे पालने वाली मां थाने में ही रोने लगी। उधर, बेटी भी उसे छोड़कर जाने को तैयार नहीं थी। किसी तरह से उसे मां को सौंपा गया। दो मां के बीच बेटी के बंटने का यह मामला पुलिस के लिए भी एक परीक्षा की तरह था। इसलिए तीन सप्ताह पुराने मामले में मासूम और उसकी दोनों मां का हाल जानने के लिए वह शनिवार को पुलिस दंपती के घरों पर गयी। वहां पता चला कि जन्म देने वाली मां उसे ले जाने के 24 घंटे बाद ही जेठानी को लौटा गयी थी। क्योंकि मां से बिछुड़ने के बाद बेटी ने खाना-पीना तो छोड़ा ही उसकी हालत खराब होने लगी थी। वह मां के पास जाने की जिद लगाए हुए थी। कुछ यही हाल मासूम को पालने वाली मां का था। यह देख देवरानी का मन पसीज गया। उसे लगा कि मां-बेटी एक दूसरे से अलग होकर नहीं रह सकतीं। इसलिए बेटी को उसे देना ही बेहतर रहेगा। उसने बेटी को खुद अपने हाथों से दोबारा जाकर जेठानी की गोद में डाल दिया।